प्रख्यात कथक नृत्यांगना पंडित बिरजू महाराज का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। पद्म विभूषण से सम्मानित 83 वर्षीय बिरजू महाराज ने रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात दिल्ली के साकेत अस्पताल में अंतिम सांस ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गायिका मालिनी अवस्थी और अदनान सामी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
कई बड़ी हस्तियों ने महाराज को श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा- भारतीय नृत्य कला को दुनियाभर में खास पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। शांति!
बॉलीवुड सिंगर अदनान सामी ने सोशल मीडिया पर लिखा- महान कथक डांसर पंडित बिरजू महाराज के निधन की खबर से गहरा दुख हुआ। आज हमने कला के क्षेत्र में एक अनूठी संस्था खो दी है। उन्होंने अपनी प्रतिभा से पीढ़ियों को प्रभावित किया है।
लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था। उनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्रा था। कथक नर्तक होने के साथ-साथ वे शास्त्रीय गायक भी थे। बिरजू महाराज के पिता आचन महाराज, चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज भी प्रसिद्ध कथक नर्तक थे।
पंडित जी कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज थे। इसमें अन्य प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा व ताऊ, शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज; तथा इनके स्वयं के पिता एवं गुरु अच्छन महाराज भी आते हैं। हालांकि इनका प्रथम जुड़ाव नृत्य से ही रहा, फिर भी इनकी पर भी अच्छी पकड़ रही और ये एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी थे।
बिरजू महाराज को अपने क्षेत्र में शुरू से ही काफी प्रशंसा और सम्मान मिले।
इनमें से 1986 में पदम विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा कालिदास सम्मान प्रमुख है।
इसके साथ ही उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली।
2002 में लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
24 फरवरी, 2000 को उन्हें प्रतिष्ठित संगम कला पुरस्कार पुरस्कृत किया गया।
भरत मुनि सम्मान से नवाजा गया
2012 में सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार फिल्म विश्वरूपम के लिए उन्हें सम्मानित किया गया
2016 का सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार फिल्म बाजीराव मस्तानी के लिए मिला।
2016 में हिंदी फिल्म बाजीराव मस्तानी में “मोहे रंग दो लाल” गाने पर नृत्य निर्देशन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
एक इंटरव्यू के दौरान अभिनेत्री माधुरी ने महाराज की तारीफ कर कहा था...., कि 'महाराज जी में कमाल का सेंस ऑफ़ ह्यूमर था और वो अक्सर विदेश यात्रा से जुड़े रोचक किस्से सेट पर सुनाया करते थे.....। जब उन्होंने देवदास के गाने 'काहे छेड़ छेड़ मोहे' गाने पर कोरियोग्राफी की तो मुद्राएं, अभिनय और बॉडी लैंग्वेज देखकर मुझे लगा कि मैं किसी सेट पर नहीं बल्कि स्वर्ग में हूं......। उनकी आर्ट इंद्रधनुष की तरह थी सप्तरंगी लेकिन नवरस से भरपूर थी.....।' एक साक्षात्कार में बिरजू महाराज ने भी माधुरी दीक्षित की तारीफ करते हुए कहा था, वो तो मेरी फेवरेट हैं। उनमें कुदरतन भाव है। महाराज ने माधुरी को सबसे पहले किसी फिल्म में डांस सिखाया था तो वो फिल्म 'दिल तो पागल है' थी। इसमें जिस जुगलबंदी वाले डांस सीक्वेंस की तारीफ हुई थी उसमें बिरजू महाराज ने ही माधुरी को डांस सिखाया था।
भजन सम्राट अनूप जलोटा ने कथक सरताज को श्रद्धांजली देते हुए लिखा, 'कुछ कलाकार होते हैं और कुछ फरिश्ते, पंडित बिरजू महाराज जी फरिश्तों की श्रेणी में आते हैं। स्वर्ग से आये, हम सब को स्वर्गिक आनंद दिया और स्वर्ग को प्रस्थान कर गए। कभी भुलाया नहीं जा सकता पंडित जी को....।'
फिल्ममेकर सुभाष घई ने अपनी पोस्ट पर लिखा, 'कथक नृत्य के उस्ताद से मेरी पहली शिक्षा मेरे कॉलेज यूथ फेस्टिवल में हुई थी। जब उन्होंने भगवान कृष्ण और राधा के बीच अपनी दो आंखों से बात करते हुए एक रोमांटिक बातचीत एक्सप्रेस की थी। मैंने सीखा डांस का मतलब शरीर है लेकिन आत्मा आंखों में है। इसीलिए वह कथक के जगत गुरु थे।'
2012 में, उन्हें फिल्म विश्वरूपम में कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2016 में, बाजीराव मस्तानी की मोहे रंग दो लाल ने अपनी कोरियोग्राफी के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। फिल्म निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म ‘ दिल तो पागल है’, ‘गदर एक प्रेम कथा’ में भी उन्होंने नृत्य सिखाया।
आलिया भट्ट ने फिल्म कलंक के लिए पंडित बिरजू महाराज से दो महीने का नृत्य प्रशिक्षण लिया था। बिरजू महाराज ने चेहरे पर डांस के साथ एक्सप्रेशन लाने में बहुत मदद की। आलिया ने फिल्म में घर मोरे परदेसिया के लिए यह ट्रेनिंग ली थी जिसकी शूटिंग से एक हफ्ते पहले उन्होंने बिरजू महाराज से सलाह-मशविरा लिया।
बिरजू महाराज को 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान भी मिला है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय ने भी बिरजू महाराज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की।
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