एक पत्रकार जो खुद को फैक्ट चैकर बताते हैं और आए दिन धार्मिक उन्माद भड़काने वाले ट्वीट करते रहते है और न सिर्फ ट्वीट करते है बल्कि गिरफ्तार होकर 22 दिन जेल की हवा भी खाते हैं उनको इस साल के नोबेल पीस प्राइज की दौड़ में काफी आगे बताया जा रहा था।
तो आज हम बात कर रहे उस पत्रकार की जिसने विश्व में हो रही हर लड़ाई को जा जा कर शांत कराया और शांति के बीज बोए। अपने पूरे करियर में उन्होंने कभी भी धार्मिक उन्माद या भड़काऊ बयान देना तो दूर मन में सोचे भी नहीं। वो तो इनकी चली नहीं वर्ना ये पुतिन को समझाबुझा कर यूक्रेन पर हुए युद्ध को भी टाल सकते थे और शांति से मसले को सॉल्व करवा सकते थे।
जी हां आप सही समझे हम ऑल्ट न्यूज के फाउंडर और को फाउंडर मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा की बात कर रहे हैं। और आज इनकी बात इसलिए की जा रही है क्योंकि इन शांतिदूतों को नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया था।
तो चलिए धीरे धीरे इनके शांति फैलाने वाले कांडों की ओर नजर डालते हैं।
जब हमने गूगल पर मोहम्मद जुबैर को नोबेल प्राइज टाइप किया तो ये सामने आया।
पहली खबर में लिखा था कि दंगे भड़काने का आरोपी शांति के नोबेल की दौड़ में, जुबैर पर 7 केस वगैरह वगैरह।
अब आपको बता दें कि ये वही मोहम्मद जुबैर हैं जिन्हें धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 22 दिन जेल में रहने के बाद फिलहाल उन्हें सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली हुई है।
जुबैर पर सोशल मीडिया में हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने और विवादित तस्वीरें पोस्ट कर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप थे।
इधर टाइम मैगजीन ने जुबैर और प्रतीक के नॉमिनेशन की जानकारी देते हुए लिखा- 'प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर भारत में गलत सूचनाओं से लगातार मुकाबला कर रहे हैं।
यहां हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा पर मुसलमानों के खिलाफ अक्सर भेदभाव के आरोप लग रहे हैं'।
सिन्हा और जुबैर ने सोशल मीडिया पर चलने वाली अफवाहों और फर्जी खबरों को खारिज करने का काम किया है। साथ ही वे हेट स्पीच पर लगाम लगाते रहे हैं।
अब जब इनके फैक्ट चैक की हमने थोड़ी सी पड़ताल की तो पता चला जुबैर ने कुछ इस तरह का ट्वीट किया था जिसके लिए इनको गिरफ्तार किया गया था।
उधर गाजियाबाद में जून 2021 में मोहम्मद जुबैर के खिलाफ केस दायर किया गया था आरोप था कि जुबैर ने इंटरनेट पर एक बूढ़े मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई का वीडियो डालकर लिखा था कि इस व्यक्ति को हिंदू युवकों ने जय श्री राम बुलवाने के लिए पीटा।
लेकिन बाद में असली फैक्ट चैक में खुलासा हुआ कि उस व्यक्ति को कुछ मुस्लिम युवकों ने ताबीज बनाने को लेकर हुए विवाद में मारा-पीटा था।
इस मामले में जुबैर, राना अय्यूब, सलमान निजामी, मसकूर उस्मानी, डॉ. समा मोहम्मद, सबा नकवी के साथ ट्विटर INC, और ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ FIR दर्ज की थी।
यही नहीं इससे पहले जुबैर पर हाथरस के सिकन्दराराऊ थाने में 2018 के एक मामले को लेकर मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप है कि जुबैर की भड़काऊ पोस्ट के बाद पुरदिलनगर में जुमे की नमाज के बाद खूब वबाल हुआ था।
उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव किया था। उपद्रव का कारण जुबैर की पोस्ट बताई जा रही है।
इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने उन पर सबूत मिटाने, आपराधिक साजिश रचने का आरोप भी लगाया।
पटियाला हाउस कोर्ट में 2 जुलाई को दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा था कि आरोपी शातिर है और सबूत मिटाने में माहिर है। आरोपी ने मोबाइल से बहुत सारे सबूत मिटा दिए हैं, जिस वजह से जांच में दिक्कतें हो रही हैं।
शायद बलात्कार शब्द की व्याख्या करने के लिए इन्हें सीता और सावित्री से अच्छी संज्ञा नहीं मिली। इसके अलावा ये भारत में गलत काम होने पर तो इसे सीता और सावित्री की धरती बता देते हैं पर हिंदू राष्ट्र मानने से इंकार कर देते हैं।
इनके सहकर्मी यानि प्रतीक सिन्हा भी कम नहीं पड़ रहे वो जो खुद को फ्री थिंकर बताते है कह रहे हैं कि आप सच में एक ऐसे इंसान में विश्वास करते हैं जिसका सिर हाथी का हो ...मैं तो नहीं कर सकता... शायद इन भाईसाहब की फ्री थिंकिंग इनको विश्वास करने की इजाजत नहीं देती। वैसे बता दूं ये बात गणेश भगवान की कर रहे थे।
अब इन दोनों को नोबेल शांति पुरूस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है। कहा जा रहा है कि ये दोनों शांति फैलाने और धार्मिक उन्माद को कम करने का काम करते हैं।
वैसे इस रेस में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्सकी भी शामिल हैं जो पहले तो अमेरिका के भरोसे रूस से भिड़ गए और फिर खुद युद्ध में बंदूक हाथ में लेकर शांति फैलाने लगे। इन शांतिदूतों को अगर नोबेल का शांति पुरूस्कार मिलता तो क्या ही कहने होते।