मणिपुर के नोनी जिले में एक रेलवे निर्माण स्थल पर भूस्खलन में मरने वालों की संख्या शनिवार को बढ़कर 24 हो गई। इनमें प्रादेशिक सेना के 18 जवान शामिल हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने गुवाहाटी में सेना के एक प्रवक्ता के हवाले से बताया कि 38 लोग अब भी लापता हैं। राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए कई और टीमों को तैनात किया गया है। सेना, असम राइफल्स, प्रादेशिक सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान लगातार मलबे में लोगों की जान लेने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, मणिपुर में घटनास्थल के पास एक और भूस्खलन हुआ।
प्रवक्ता ने बताया कि इस हादसे में जान गंवाने वाले सेना के जवानों में एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) भी है। जेसीओ समेत 14 जवानों के शवों को वायुसेना के दो विमानों और सेना के एक हेलीकॉप्टर से उनके घर भेज दिया गया है। एक जवान के पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से मणिपुर के कांगपोकपी जिले भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि शव भेजने से पहले उन्हें इंफाल में पूरे सम्मान के साथ सैन्य विदाई दी गई।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भी शुक्रवार को घटनास्थल का दौरा किया और बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने इसे मणिपुर के इतिहास का सबसे भयानक हादसा बताया। आपको बता दें कि बुधवार-गुरुवार की रात मणिपुर के नोनी जिले में तुपुल रेलवे स्टेशन के पास भारतीय सेना के 107 टेरिटोरियल आर्मी कैंप के पास यह भूस्खलन हुआ। यहां जिरीबाम से इंफाल के बीच रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा है। ये सैनिक उसकी सुरक्षा के लिए तैनात थे।