One Nation One Election: एक देश एक चुनाव पर विधि आयोग ने दिया फार्मूला, 1967 से पहले की तरह एक साथ हों चुनाव

One Nation One Election: बुधवार को विधि आयोग और कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का मुद्दा उठाया। इसमें, आयोग ने “एक देश, एक चुनाव” की योजना प्रस्तुत की। साथ ही, चुनाव से पहले सरकार गिरने पर अगले चुनाव तक क्या व्यवस्था रहेगी, इसके दो मॉडल भी प्रस्तुत किए गए।
One Nation One Election
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One Nation One Election: लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति और लॉ कमीशन की अहम बैठक का आयोजन किया गया। इसमें लॉ कमीशन ने एक प्रारुप पेश दो मॉडल को सुझाव दिया है।

जिसमें पहला अगर सरकार गिरने के बाद लोकसभा या विधानसभा का कार्यकाल 2 साल से कम बचा हो तो सर्वदलीय सरकार बनाई जाए। लोकसभा में इसे  राष्ट्रीय एकता सरकार के तौर पर गठित किया जाए। 

दूसरे मॉडल में सरकार गिरने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव करवाए जाए। चुनाव बाकी बचे कार्यकाल के लिए ही हो, मध्यावधि चुनाव तभी हो, जब कार्यकाल 2 साल से अधिक बचा हो। कमीशन ने कोविंद कमेटी को बताया कि 1967 तक देश में सभी चुनाव साथ हो रहे थे।

सरकारें अस्थिर होने की वजह से व्यवस्था गड़बड़ा गई थीं। ऐसा फिर न हो, इसके लिए हमें पहले से एक मॉडल तैयार रखना जरूरी है।

नई व्यवस्था 2029 या 2034 के चुनावों से लागू हो सकती है

आयोग ने स्पष्ट किया कि एक साथ चुनाव कराना लोकतंत्र, संघीय व्यवस्था या संविधान के मूल स्तंभों को नहीं प्रभावित करता, बल्कि इन स्तंभों को मजबूत करता है। जनता के हित, संसाधनों की बचत और देश की प्रगति के लिए यह कदम आवश्यक है।

कमेटी ने बताया कि कितने राज्यों में सरकार का कार्यकाल बढ़ाना और कितने में घटाना पड़ सकता है ताकि विधानसभा चुनाव 2029 या 2034 में हों। विशेष प्रावधान इसे हासिल कर सकता है।

सर्वदलीय सरकार में किस पार्टी को कितने पद, यह सदन में पार्टियों की ताकत के हिसाब से तय होगा

लॉ कमीशन ने सिफारिश की है कि लोकसभा या विधानसभा में विभिन्न दलों की संख्या के समान अनुपात में सर्वदलीय सरकार में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। सरकार का ढांचा दलों की सदन में ताकत के हिसाब से तय होगा।

कमीशन ने इस तरह की सरकारों के कम्पोजीशन भी सुझाए हैं। बैठक में कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, सदस्य प्रोफेसर आनंद पालीवाल और सदस्य सचिव केटी बिस्वाल ने 45 मिनट की प्रजेंटेशन दी। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आजाद, सुभाष कश्यप और एनके सिंह समेत सभी सदस्य मौजूद रहे।

5 साल में 1 चुनाव को संविधान संशोधन जरूरी

कमीशन ने सबसे बड़ी सिफारिश यह की है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ कराने के लिए संविधान में विशेष प्रावधान शामिल करना होगा।

इसमें व्यवस्था हो कि लोकसभा की चुनाव अधिसूचना के साथ विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी करने का अधिकार राज्यपाल के पास सुरक्षित होगा।

कमीशन ने कमेटी को बताया कि संविधान में इस प्रकार के विशेष प्रावधान जोड़ने की व्यवस्था मौजूद है। संसदीय माध्यम से इस प्रावधान का अनुच्छेद संविधान में जोड़ा जा सकता है।

By: Rajesh

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