झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन के पद के ऊपर तो तलवार लटकी ही है साथ ही वहां पर सियासी घमासान भी शुरू हो गया है। इसी बीच शनिवार को महागठबंधन के विधायकों को सीएम आवास पर बुलाकर मीटिंग आयोजित की गई है।
मीटिंग के दौरान देखा गया कि कई विधायक कपड़ों के बैग लेकर पहुंचे हैं जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि झारखंड सरकार को भी महाराष्ट्र जैसा हाल होने का डर सता रहा है जिसके चलते विधायकों को छत्तीसगढ़ भी शिफ्ट किया जा सकता है। हुआ भी कुछ ऐसा ही खबर आई है सीएम हाउस से तीन बसों में सवार कर महागठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ रवाना कर दिया गया है। राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद अब झारखंड सरकार ने सत्ता बचाने की कवायद में बाडेबंदी की है।
इस सभी के बीच झारखंड सरकार के सामने बड़ी समस्या ये भी है कि चुनाव आयोग कभी भी सीएम हेमंत सोरेन की विधायकी रद्द करने का आदेश जारी कर सकता है। हालांकि राज्यपाल रमेश बैस ने हेमंत की विधायकी रद्द कर दी है। अब सिर्फ औपचारिक नोटिस का इंतजार है।
जैसा कि विधायकों के बैग लेकर सीएम आवास पहुंचने पर कयास लगाए जा रहे थे कि विधायकों की बाडाबंदी की जा सकती है वैसा ही कुछ हुआ है। सीएम हाउस से मीटिंग के बाद विधायकों को तीन लग्जरी बसों में सवार कर छत्तीसगढ़ के लिए रवाना कर दिया गया है। हालांकि छत्तीसगढ़ में उनकों कहां लेकर जाया जा रहा है इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
बता दें कि हेमंत के इस्तीफे के बाद झारखंड में सरकार बनाने का पहला न्यौता झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिलेगा। क्योंकि झामुमो झारखंड में सबसे बड़ी पार्टी इस नाते से गर्वनर सबसे पहले मौका JMM को ही देंगे।
हालांकि अभी ये साफ नहीं हुआ है कि हेमंत सोरेन की सिर्फ विधायकी रद्द की जा रही है या उन्हें डिबार किया जा रहा है।
डिबार करने का अर्थ है हेमंत सोरेन एक तय समय तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इस स्थिति में झामुमो को सीएम पद के लिए किसी और चेहरे की ओर रूख करना होगा।
लेकिन अगर सोरेन को डिबार नहीं किया गया तो हेमंत इस्तीफा देने के बाद विधायक दल के नेता बन कर दोबारा आ सकते हैं।
झारखंड के मौजूदा हालातों के देखते हुए और महाराष्ट्र में हाल ही में हुई सियासी उठापठक से सबक लेते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पहले ही सभी विधायकों के हस्ताक्षर करवा लिया है।
झारखंड में सरकार बनाने के लिए 42 विधायक चाहिए वहीं कांग्रेस और अपने विधायक मिला कर झामुमो के पास टोटल 50 विधायकों का समर्थन है। जिस वजह से माना जा रहा है कि झारखंड में सत्ता में ये ही दल रहने वाला है।
लेकिन फिर भी एहतियातन तौर पर झारखंड के विधायकों की छत्तीसगढ़ में बाड़ाबंदी की जा रही है।
इधर CM हेमंत सोरेन ने पूरे घटनाक्रम पर करारा जवाब दिया है। शुक्रवार देर रात ट्वीट कर उन्होंने कहा है, ''सरकारी कुर्सी के भूखे हम लोग नहीं है। बस एक संवैधानिक व्यवस्था की वजह से आज हमें रहना पड़ता है, क्योंकि उसी के माध्यम से हम जन-कल्याण के काम करते हैं।”
दूसरे ट्वीट में सीएम हेमंत ने झारखंड के अंदर बाहरी ताकतों के गिरोह के सक्रिय होने की बात कही है। उन्होने आरोप लगाया है कि इस गिरोह ने पिछले 20 सालों में राज्य को तहस नहस करने का संकल्प लिया है लेकिन 2019 में हमारी सरकार के आने पर हमने उनको उखाड़ फेंका।
साथ ही उन्होने कहा कि षड्यंत्रकारियों को ये पता है कि अगर हम यहां बने रहे तो उनका आने वाला समय और भी मुश्किल भरा होने वाला है । इस लिए वो संवैधानिक संस्थाओं का हमारे खिलाफ दुरूपयोग कर रहे हैं। इस ट्वीट में उन्होने बिना नाम लिए भाजपा पर निशाना साधा है और जमकर हमला बोला है।