Name History in India: एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में 704 जगहों के नाम तो केवल 6 मुगल शासकों के नाम पर है। इन मुगल शासकों में बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब शामिल है। जानकारी के अनुसार भारत में नाम बदलने की परंपरा 700 से भी ज्यादा साल पुरानी है। जैसे जैसे मुगलशासक किसी इलाके पर विजय हासिल करते थे तो वहां के शहरों, गांवों के नाम भी उनके अनुसार हो जाते थे।
अब प्रश्न यह उठता है कि भारत को आजाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं। इसमें वर्ष 2014 (केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में आई) से पहले अधिकतर समय केंद्र में कांग्रेस या उसके समर्थन से सरकारें रहीं। अधिकतर राज्यों में भी कांग्रेस की सरकारें रहीं। बावजूद इसके मुगल आक्रांताओं के नाम पर रखे गए शहरों-कस्बों या धरोहरों के नाम नहीं बदले गए। इसके पीछे मुख्य कारण रहा कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति।
कांग्रेस की नजर शुरू से ही मुस्लिम वोटों पर रही है। मुस्लिम आक्रांताओं के नाम पर रखे गए नाम बदलने की बात कांग्रेस सपने में भी नहीं सोच सकती। पीएम मोदी के शासनकाल में बदले गए नामों पर कांग्रेस खुलकर ऐतराज उठा चुकी है। जो कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लगाकर वहां के हिंदुओं का हक छीन सकती है। जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर हुए हमलों को मूकदर्शक बन देखती रही, वह भला मुस्लिम आक्रांताओं के नाम पर रखे गए शहर व धरोहरों के नाम बदलने की तो सोच भी नहीं सकती।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 704 जगहों के नाम तो 6 मुगल शासकों के नाम पर है। इन मुगलों में बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब शामिल है। इसमें अकबर के नाम पर देश में 251 गांवों के नाम हैं। इसके बाद औरंगजेब के नाम 177, जहांगीर के नाम 141, शाहजहां के नाम 63, बाबर के नाम पर 61 और हुमायूं के नाम पर 11 जगहों के नाम हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि देश में लगभग 70 अकबरपुर, 63 और औरंगाबाद हैं।
इसमें 392 उतर प्रदेश, 97 बिहार, 50 महाराष्ट्र , 38 हरियाणा, 9 आंध्र प्रदेश, 3 छतीसगढ़, 12 गुजरात, 4 जम्मू-कश्मीर, 3 दिल्ली, 22 मध्य प्रदेश, 27 पंजाब, चार ओडीशा, 9 पश्चिम बंगाल, 13 उत्तराखंड और 20 राजस्थान में हैं। बता दें कि इसके अलावा अंग्रेजों ने कई शहरों के नाम बदले और फिर भारत के आजाद होने के बाद देश के कई शहरों का नाम बदल दिया गया।
जानकारी के अनुसार भारत में नाम बदलने की परंपरा 700 से भी ज्यादा साल पुरानी है। जैसे जैसे मुगलशासक किसी इलाके पर विजय हासिल करते थे तो वहां के शहरों, गांवों के नाम भी उनके अनुसार हो जाते थे। कई मध्यकालीन शासकों ने शहर बसाए और उन शहरों के नाम अपने परिवार के सदस्यों या अपने खुद के नाम पर रखे।
जैसे दिल्ली सल्तनत के इतिहास में बेवकूफ शासक के तौर पर पहचाने जाने वाले मुहम्मद बिन तुगलक ने जब राजधानी को दिल्ली से ले जाकर देवगिरी में स्थापित किया था, तो उसने देवगिरी का नाम बदल कर दौलताबाद कर दिया। अब ये शहर दौलताबाद के नाम से जाना जाता है। जैसे साल 1303 में चित्तौड़गढ़ किले पर कब्जा करने के बाद अलादुद्दीन खिलजी ने अपने बेटे खिज्र खान के नाम चित्तौड़गढ़ का नाम खिजराबाद कर दिया था।
जानकारी के अनुसार आगरा का नाम अकबर के नाम पर अकबराबाद कर दिया गया था। कहा जाता है कि पहले बनारस का नाम भी कुछ दिनों तक मोहम्मदाबाद रखा गया था। इस लिस्ट में कई शहरों के नाम है, जैसे आमेर का नाम बदलकर मोमीनाबाद रख दिया गया था। कहा जाता है कि गुजरात के शहर अहमदाबाद का नाम पहले कर्णावती था। इसके अलावा जामनगर का नाम इस्लामनगर, सतारा का नाम आजमतरा, मैसूर का नाम नजराबाद, मंगलोर का नाम जलालाबाद, मदीकेरी का नाम जाफराबाद करने का जिक्र है।