PMLA पर 'सुप्रीम' फैसले को विपक्षी दलों ने बताया 'खतरनाक', 17 दलों ने SC से की समीक्षा की मांग

विपक्षी दलों के नेताओं ने एक साझा बयान में कहा कि सर्वोच्च अदालत का ये निर्णय एक सरकार के हाथों को मजबूत करेगा जो अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए 'राजनीतिक प्रतिशोध में लिप्त' है।
PMLA पर 'सुप्रीम' फैसले को विपक्षी दलों ने बताया 'खतरनाक', 17 दलों ने SC से की समीक्षा की मांग
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धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) में संशोधन को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का टीएमसी और आम आदमी पार्टी सहित 17 विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। इन 17 दलों ने 3 अगस्त, बुधवार को इस अधिनियम में संशोधनों को बनाए रखने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले के दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में आशंका व्यक्त की। विपक्ष ने इसकी समीक्षा की मांग करते हुए इसे 'खतरनाक' बताया। इन दलों ने इसे लेकर एक साझा बयान भी जारी किया।

गौरतलब है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली विपक्षी दलों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई को फैसला सुनाया था। अदालत ने अपने फैसले में इस अधिनियम में हुए संसोधनों को बरकरार रखा था।

'सरकार के हाथों को मजबूत करेगा निर्णय'

संयुक्त बयान में, विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि सर्वोच्च अदालत का ये निर्णय एक सरकार के हाथों को मजबूत करेगा जो अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए 'राजनीतिक प्रतिशोध में लिप्त' है। इस बयान में विपक्ष ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह 'खतरनाक फैसला अल्पकालिक' होगा और संवैधानिक प्रवाधान लागू होंगे। नेताओं ने बयान में कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में दिए गए उस आदेश के होने वाले दूरगामी असर को लेकर गहरी चिंता प्रकट करते हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन निवारण कानून, 2002 में किए गए संशोधनों को पूरी तरह से बरकरार रखा है और इसकी छानबीन नहीं की कि इनमें से कुछ संशोधन वित्त विधेयक के जरिये किए गए।

भाजपा पर साधा निशाना

पार्टियों ने कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय का हमेशा सम्मान करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। नेताओं ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि इन दूरगामी संशोधनों ने एक सरकार के हाथों को मजबूत किया है, जो सबसे खराब तरह के राजनीतिक प्रतिशोध में लिप्त है। विपक्षी नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि हम इस बात से भी बहुत निराश हैं कि अधिनियम में नियंत्रण और संतुलन की कमी पर एक स्वतंत्र फैसला देने के लिए आमंत्रित सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण ने कठोर संशोधनों के समर्थन में कार्यपालिका द्वारा दिए गए तर्कों को पुन: प्रस्तुत किया है। हमें उम्मीद है कि यह खतरनाक फैसला अल्पकालिक होगा और संवैधानिक प्रावधान जल्द ही लागू होंगे।

इन दलों ने किए हस्ताक्षर

इस साझा बयान पर जिन दलों ने हस्ताक्षर किए हैं उनमें कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आप, राकांपा, शिवसेना, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, एमडीएमके, राजद और रालोद शामिल हैं। इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर संयुक्त बयान साझा करते हुए कहा कि टीएमसी और आप सहित 17 विपक्षी दलों, साथ ही एक निर्दलीय राज्यसभा सांसद ने एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। इन नेताओं ने पीएमएलए, 2002 में संशोधन और इसकी समीक्षा की मांग की।

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