Supreme Court on Prisoners: जेल में बंद कैदियों पर 'सुप्रीम' आदेश, SC ने सुनाया ये फैसला

Supreme Court on Prisoners: जेल में बंद कैदियों के लिए अच्छी खबर है। Since Independence पर जानें केंद्र सरकार के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या दी राहत?
Supreme Court on Prisoners: जेल में बंद कैदियों पर 'सुप्रीम' आदेश, SC ने सुनाया ये फैसला

Supreme Court on Prisoners: संविधान दिवस पर सुप्रीम कोर्ट के सभागार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जमानत के अभाव में जेल में बंद गरीब कैदियों की रिहाई को लेकर एक मार्मिक अपील की थी। इसका अब व्यापक असर दिखने लगा है। पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट घोषणा में ऐसे कैदियों के लिए जमानत राशि भरने की घोषणा की, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे कैदियों को लेकर बड़ा निर्णय सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की जेल में बंद हजारों कैदियों की समय से पहले रिहाई का रास्ता साफ कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने बिहार, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार से भी उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की जानकारी मांगी है।

कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि वो राज्य सरकार की मौजूदा नीति के मुताबिक समय से पहले रिहाई के हकदार हो चुके सजायाफ्ता कैदियों की रिहाई के बारे में तीन महीने में फैसला ले। इससे ज्यादा देर राज्य सरकार की ओर से नहीं होनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि ये समाज के सबसे गरीब तबके से जुड़ा मसला है। हमारे पास ऐसे भी कैदी हैं, जो 89 साल के हैं और कैंसर से जूझ रहे हैं, लेकिन अभी भी अपनी रिहाई का इंतजार ही कर रहे हैं।

मुख्य बिंदु

  • जमानत के अभाव में जेलों में बंद गरीब कैदियों के लिए संविधान दिवस पर राष्ट्रपति ने की थी भावुक अपील।

  • इसके बाद केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने ऐसे कैदियों की रिहाई के लिए जमानत राशि भरने की घोषणा की।

  • अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में ऐसे कैदियों की रिहाई के लिए यूपी सरकार को निर्देश दिए हैं।

  • साथ ही कोर्ट ने बिहार, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार से भी उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की जानकारी मांगी है।

एक लाख से अधिक कैदी हैं यूपी की जेलों में

यूपी सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, अभी यूपी की जेलों में 1 लाख 16 हज़ार कैदी हैं। उनमें 88 हजार विचाराधीन कैदी (अंडरट्रायल) है। इनमें 26 हजार 734 कैदी दोषी करार दिए जा चुके हैं और 16 हजार 262 कैदी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि यूपी सरकार नीति के मुताबिक तय वक्त जेल की सलाखों के पीछे गुजराने वाले कैदियों की भी रिहाई नहीं कर रही है।

यह है SC का आदेश

यूपी की जेल में बंद कैदियों की नियमों के मुताबिक रिहाई सुनिश्चित हो सके। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश पास किया है। कोर्ट ने कहा है कि डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी संबंधित जेलों की जेलों से सूचना एकत्र करेंगे कि किन कैदियों को मौजूदा नियमों के तहत समय से पहले रिहाई का लाभ दिया जा सकता है।

हर जेल सुपरिटेंडेंट की ये ज़िम्मेदारी होगी कि वो डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी तक ये जानकारी उपलब्ध कराए। डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी के सेक्रेटरी इस सूचना को हर चार महीने के अंतराल पर 1 मई, 1 अगस्त, 1 अक्टूबर को स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी को उपलब्ध कराएंगे।

स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के चेयरपर्सन एक मीटिंग करेंगे। इस मीटिंग में होम सेक्रेटरी के अलावा डीजी जेल शामिल होंगे। राज्य सरकार दोषियों की रिहाई के बारे में मौजूदा पॉलिसी के मुताबिक फैसला लेगी। इसके लिए तीन महीने से ज्यादा का वक्त नहीं लिया जाना चाहिए।

बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के एक महीने के अंदर डीजी (जेल), स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के चेयरपर्सन के साथ मशविरा करके एक ऑनलाइन डैशबोर्ड बनाएंगे, जिसमें उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों और उनकी समय से पहले रिहाई के योग्य होने की तारीख की जानकारी होगी।

राज्य सरकार 31 मार्च तक इस आदेश के अमल को लेकर हलफनामा दाखिल करेगी। कोर्ट ने बिहार, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार से भी उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की जानकारी मांगी है। कोर्ट अगली बार बिहार को लेकर सुनवाई करेगा।

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