Tarachand Murder Case: बिलख रही बेटी, नाच रही सरकार; कांग्रेस शासन में पीड़ित लाचार!

सीकर में गैंगवार का शिकार हुए ताराचंद की मौत के बाद इंसाफ के लिए उसकी बच्ची और घरवाले धरने पर बैठे हुए हैं, दूसरी ओर झालावाड़ में राहुल गांधी के साथ सीएम अशोक गहलोत सहित कई कांग्रेसी नेता मंच पर थिरक नाचते नजर आए। पीड़ित परिवार के प्रति सरकार के इस उदासीन व्यवहार से हर कोई व्यथित है।
Tarachand Murder Case: बिलख रही बेटी, नाच रही सरकार; कांग्रेस शासन में पीड़ित लाचार!
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'भारत जोड़ो यात्रा' रविवार शाम को झालावाड़ जिले से राजस्थान में प्रवेश कर चुकी है। सीएम अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित सरकार के कई मंत्री और बड़े नेताओं ने एमपी बॉर्डर स्थित चंवली चौराहे पर राहुल गांधी की अगवानी की।

इस दौरान अशोक गहलोत, सचिन पायलट और राहुल गाँधी सहित कई कांग्रेस नेता मंच पर डांस करते दिखे। जब आला कमान मंच पर थिरक रहें थे, उस समय उनकी ही पार्टी के विधायक सीकर में एक बच्ची के न्याय के लिए धरने पर बैठे थे। जिसके निर्दोष पिता की सरेआम गोली मार कर हत्या कर दी गई।

सीकर मेें RLP नेता हनुमान बेनीवाल, लाडनूं के कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर और छात्र संघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी सहित कई लोग धरने पर बैठे हैं। गहलोत सरकार और नाकाम पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की साथ ही ताराचंद के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने सहित कई मांगे रखी। हालाँकि दबाव में आने के बाद पुलिस ने 5 आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।

आखिर क्या गलती थी उस निर्दोष पिता की ?
बेटी की झोली में खुशियों की जगह निर्दोष पिता की लाश का ये मार्मिक दृश्य ह्रदय को विचलित करने वाला है। एक किसान दिन-रात मेहनत कर अपनी बेटियों को पढ़ता-लिखता है, उन्हें एक दिन बढ़ी हस्ती बनते देखने के सपने सजोता है और अचानक से बदमाशों की एक गोली बेटियों को अनाथ बना देती है आखिर क्या गलती थी उस निर्दोष पिता की ? इन बेलगाम गैंगस्टरों पर सरकार और प्रशासन क्या कर रहा है? जो जनता आपको ताज पहना कर राजा बनती है जिसके टैक्स से आपका घर चलता है अगर उनकी ही हिफाजत नहीं कर सकते तो ये सत्ता और ये पावर किस काम की?

नागौर के जायल क्षेत्र के दोतीणा के रहने वाले ताराचंद कड़वासरा शनिवार को अपनी बेटी कोनिता से मिलने सीएलसी कोचिंग (CLC Coaching) आये लेकिन उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि दो गैंग की दुश्मनी की कीमत उन्हें जान देकर चुकानी पड़ेगी।

ताराचंद अपने चाचा के बेटे भाई रामनिवास कड़वासरा के साथ ऑल्टो कार से सीकर आए थे। सुबह जैसे ही ताराचन्द व रामनिवास कोचिंग के बाहर गाड़ी से उतरे। ताराचंद गाड़ी से निकलकर अपनी बेटी को फोन लगा रहें थे उसी दौरान राजू ठेहट का मर्डर कर भाग रहे शूटर ने ताराचंद कड़वासरा से उनकी गाड़ी की चाबी मांगी। जब ताराचंद ने चाबी नहीं दी तो बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी।

गोली लगने से ताराचंद की मौके पर ही मौत हाे गई उन्होंने रामनिवास पर भी फायर किया लेकिन वह गाड़ी के दूसरी ओर होने की वजह से बाल-बाल बच गए। बदमाशों ने उनकी कार छीन ली और फरार हो गए।

इसी दौरान ताराचंद से फोन पर बात कर रही उसकी बेटी कोनिता भी वहां पहुंच गई। उसने पिता को लहूलुहान हालत में देखा तो बेसुध हो गई। कोचिंग प्रबंधन ने जैसे-तैसे उसे संभाला और हॉस्टल में ले गए।

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