महाराष्ट्र में हुई सियासी उठापटक के बाद अब शिवसेना के वर्चस्व की लड़ाई दोनों गुटों के बीच चल रही है। इस दौरान उद्धव ठाकरे गुट ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इस बार उद्धव गुट ने लोकसभा स्पीकर के सांसद राहुल शेवाले को फ्लोर लीडर बनाने के खिलाफ याचिका दायर की है।
याचिका में ठाकरे गुट के सांसद विनायक राउत और राजन विचारे ने लोकसभा स्पीकर ओम प्रकाश बिड़ला पर उन्हें अवैध और एकतरफा तरीके से पद से हटाने का आरोप लगाया है।
बता दें की याचिका ने राहुल शेवाले की मुख्य सचेतक की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई है। यही नही इन दोनों ने लोकसभा अध्यक्ष पर मनमानी करने का आरोप लगाया है।
उद्धव गुट गद्दी से हटने के बाद लगातार सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले रहा है। इस बार उद्धव गुट के सांसद विनायक राउत और राजन विचारे सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे हैं।
इस बार ठाकरे गुट ने लोकसभा स्पीकर की कार्रवाई को अवैध बताते हुए उनके खिलाफ याचिका दायर की है। ठाकरे गुट ने याचिका में कहा है कि लोकसभा स्पीकर पक्षपाती होते हुए एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं।
दरअसल लोकसभा स्पीकर ने शिंदे गुट के सांसद राहुल शेवाले को फ्लोर लीडर नियुक्त किया है। जिससे उद्धव गुट खफा दिखाई दे रहा है। उद्धव गुट के सांसद विनायक राउत औऱ राजन विचारे ने उनको पद से हटाए जाने को अंसवैधानिक और अवैध बताया है।
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ पहले से ही शिवसेना के दो गुटों द्वारा की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। नई याचिका में शिंदे गुट के राहुल शेवाले को शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता देने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी गई है।
ठाकरे गुट के समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। उद्धव से सरकार छिन जाने के बाद अब बात शिवसेना के स्वामित्व पर बन आई है।
ठाकरे गुट को 18 जुलाई को ही 19 में से 12 सांसदों के बागी होने की खबर लगी गई थी। खबर के तुरंत बाद सदन के नेता विनायक राउत ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि वे शिवसेना संसदीय पार्टी के विधिवत नियुक्त नेता हैं और राजन विचारे चीफ व्हिप हैं।
उद्धव ठाकरे ने पहले ही शिंदे के साथ जाने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है।
इसके अलावा उद्धव ठाकरे ने एक और याचिका दायर की थी जो कि राज्यपाल के शिंदे को सरकार बनाने का न्योता भेजने कि खिलाफ थी।
इन सब याचिकाओं पर 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।