5 साल पहले शैली ने 10 हजार रुपए से शुरू किया था होममेड मसालों का स्टार्टअप, अब सालाना 13 लाख का टर्नओवर

दिल्ली की रहने वाली शैली सबावाला को बचपन से ही नानी की रेसिपी सीखने और बनाने का शौक था। उसने फैसला किया कि वह नानी की रेसिपी को दूसरे घरों में ले जाएगी।उन्होंने घर से ही घर के बने पारसी मसालों का स्टार्टअप शुरू किया। आज वह भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में अपने उत्पाद की मार्केटिंग कर रही हैं।
Photo | Dainik Bhaskar
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डेस्क न्यूज़– दादी माँ की रेसिपी बहुत ही खास होती है। इनकी रेसिपी का स्वाद और सुगंध दोनों ही बेमिसाल है। लेकिन बहुत कम लोग होते हैं उनके हाथों की जादूगरी को, अपनी रेसिपी को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा पाते हैं। दिल्ली की रहने वाली शैली सबावाला को बचपन से ही नानी की रेसिपी सीखने और बनाने का शौक था। पढ़ाई और नौकरी के बाद भी उन्होंने यह काम जारी रखा। पांच साल पहले उसने फैसला किया कि वह नानी की रेसिपी को दूसरे घरों में ले जाएगी। उन्होंने घर से ही घर के बने पारसी मसालों का स्टार्टअप शुरू किया। आज वह भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में अपने उत्पाद की मार्केटिंग कर रही हैं। इससे उनका सालाना 13 लाख रुपये का कारोबार हो रहा है। होममेड मसालों का स्टार्टअप ।

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मसालों की रेसिपी नानी से सीखी थी

45 साल की शैली दिल्ली में पली-बढ़ी। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने कुछ साल अलग-अलग कंपनियों में काम किया। इसके बाद उसकी शादी हो गई और वह परिवार की जिम्मेदारियां संभालने लगी। शैली बताती हैं कि मैं अपने परिवार के लिए खुद मसाले तैयार करती थी। इसकी रेसिपी मैंने अपनी दादी से सीखी है। मैं परिवार के साथ-साथ रिश्तेदारों को भी मसाले भेजती थी। लोगों को ये मसाले भी खूब पसंद आए।

ऐसे शुरू किया कारोबार

पारसी मसाले अपनी सौंधी खुशबू और अनोखे स्वाद लिए जाने जाते हैं। पारसी समुदाय के लोग अलग-अलग मसालों को मिलाकर एक नया मसाला तैयार करते हैं। जो आम मसालों से अलग और अनोखे होते हैं। इनका उपयोग वेज और नॉन वेज दोनों तरह की रेसिपी बनाने में किया जाता है।

करीब 5 साल पहले उसके परिचितों ने उसे व्यावसायिक स्तर पर इसे शुरू करने की सलाह दी थी। शैली को भी लगा कि ऐसा किया जा सकता है। फिर उन्होंने करीब 10 हजार रुपए की लागत से तीन-चार मसाले तैयार किए। उसकी मदद के लिए एक महिला को काम पर रखा। और घर बैठे अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने लगी। बाद में उन्होंने जरीन सीक्रेट नाम से अपनी खुद की कंपनी रजिस्टर की।

शैली का कहना है कि शुरुआत में हमने माउथ पब्लिसिटी के जरिए अपने उत्पाद की मार्केटिंग की। एक ग्राहक हमारे उत्पाद की जानकारी दूसरे को देता था और फिर बात तीसरे ग्राहक तक पहुंचती थी। यानी एक तरह से चेन बन गई। इस दौरान हमने गुणवत्ता बरकरार रखी। हर बार पहले से कुछ बेहतर करते रहें। इसका फायदा यह हुआ कि हमसे जुड़ने वाले सभी ग्राहक नियमित रूप से हमारे उत्पाद खरीदने लगे।

सोशल मीडिया से शुरू की मार्केटिंग

शैली बताती हैं कि नए स्टार्टअप के लिए सोशल मीडिया सबसे बड़ा मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है। अगर आपको इसकी अच्छी समझ है और आप इसे अपना समय देते हैं, तो आपको निश्चित रूप से बेहतर फीडबैक मिलता है। जब हमारा सेटअप थोड़ा फ़्रीज़ हुआ तो हमने हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपना अकाउंट बना लिया। जितना संभव हो सके सक्रिय रहने की कोशिश की ताकि मैं ग्राहकों को तुरंत जवाब दे सकूं। विभिन्न समूहों में शामिल हुए, एक पेज बनाया। नियमित रूप से पोस्ट करने लगे।

विदेशों से भी मिलने लगे ऑर्डर

जल्द ही हमें पूरे देश से ऑर्डर मिलने लगे। उसके बाद हमने कुछ कूरियर कंपनियों के साथ करार किया और अपने उत्पाद की मार्केटिंग शुरू की। कुछ समय बाद हमें विदेशों से भी ऑर्डर मिलने लगे। वर्तमान में, हम अपने उत्पादों को अमेरिका, सिंगापुर, जापान, दुबई सहित कई देशों में भेज रहे हैं। फिलहाल उनकी कंपनी का टर्नओवर 13 लाख रुपये है। कोविड के चलते बाजार में मामूली गिरावट आई है। पहले उनका टर्नओवर 20 लाख रुपये तक पहुंच गया था।

कैसे बनाते हैं उत्पाद?

शैली स्थानीय किसानों से मसालों के लिए कच्चा माल खरीदती है। फिर इसे कड़ाही में भूनती हैं। यह अलग-अलग मसालों को एक निश्चित फार्मूले के अनुसार मिलाती है। इसके बाद सभी को ग्राइंडर मशीन की मदद से पीस लिया जाता है। इसके बाद इनकी क्वालिटी टेस्टिंग और पैकेजिंग का काम किया जाता है। फिलहाल शैली करीब 50 तरह के उत्पाद बना रही है। इसमें महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दक्षिण भारत सहित लगभग 12 राज्यों के पारसी मसालों के साथ-साथ विशेष मसालों और अचार के कुछ व्यंजन शामिल हैं। वे हर पैकेट के साथ उस मसाले को तैयार करने की रेसिपी नोट भी अपने कस्टमर्स को भेजती हैं।

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