चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने कहा है कि प्रदेश में हेपेटाइटिस नियंत्रण के लिए गंभीरता से कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। प्रदेश के 7 मेडिकल कॉलेजों के अतिरिक्त सभी जिला चिकित्सालयों में हैपेटाइटिस रोगियों की निःशुल्क जांच व उपचार उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित वर्ष 2030 तक हैपेटाइटिस से मुक्ति का लक्ष्य अर्जित करने के लिए व्यापक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
डॉ शर्मा बुधवार को विश्व हैपेटाइटिस दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय वर्चुअल सेन्सीटाइजेशन कार्यशाला को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व हैपेटाइटिस दिवस के मौके पर इस वर्ष की थीम विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा 'Hepatitis can't wait' निर्धारित की गई है। इसके तहत हैपेटाइटिस को लेकर जानकारी और तुरंत इलाज के लिए लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है।
चिकित्सा मंत्री ने प्रदेश में हैपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टेस्टिंग की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कहा कि प्रदेश के एसएमएस अस्पताल में हैपेटाइटिस बी एवं सी की वायरल लोड जांच भी प्रारंभ कर दी गई है। जोधपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर एवं झालवाड़ जिलों में भी वायरल लोड जांच प्रारंभ करने के लिए 12 करोड़ रुपए की अतिरिक्त स्वीकृतियां आरएमएससीएल को जारी कर दी गई है।
डॉ शर्मा ने कहा कि हेपेटाइटिस बी की दृष्टि से प्रमुख जोखिम वाले ग्रुप जेलबंदी, एचआइवी पॉजिटिव एवं ब्लड डोनर्स इत्यादि की हैपेटाइटिस की स्क्रीनिंग भी करवायी जा रही है। इसके लिए मेडिकल कॉलेजों के अतिरिक्त जिला अस्पतालों को भी स्क्रीनिंग किट उपलब्ध करवाएं गए हैं। सभी विभागों से प्रभावी समन्वय स्थापित करने के लिए राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी का भी गठन किया जा रहा है।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन ने कहा कि प्रदेश में गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच के दौरान ही हेपेटाइटिस बी की जांच भी आवश्यक कर दी गई है। हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव महिलाओं की पहचान कर उनकी तथा नवजात शिशु की विशेष देखरेख की जाती है एवं नवजात को हेपेटाइटिस बी की बर्थ डोज लगाने की भी व्यवस्था की गई है।