राजस्थान विधानसभा चुनाव में फिर से मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी ठोकने के लिए वसुंधरा राजे ने अपनी यात्राएं शुरू कर दी है। तो वही दुसरी और फिर से कांग्रेस यह दावा कर रही है की इस बार भी कांग्रेस की राजस्थान में सरकार बनेगी और यह कांग्रेस दावा अपने काम के दम पर कर रही है। गौरतलब है की कांग्रेस और बीजेपी में गुट की राजनीती काफी सक्रिय है। बीजेपी में सतीश पूनिया सरकार बनाने का दावा ठोक रहे है तो वही कांग्रेस में सचिन पायलट पूरी तरह चुनाव में एक्टिव नजरआ रहे है।
वही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाजपा के चेहरे के रूप में खुद को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर रही हैं और पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा ले रही हैं। राजे इस समय भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और लखनऊ व देहरादून में क्रमश: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के शपथ ग्रहण समारोहों सहित कई कार्यक्रमों में दिखाई देती रही हैं। भगवा खेमे में अटकलें हैं कि राजे पार्टी के कार्यक्रमों में अपनी मौजूदगी से राजस्थान में खुद को पार्टी के चेहरे के रूप में फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं।
राजे अतीत में विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए भाजपा राजस्थान इकाई के कई कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुई थीं। मगर पिछले एक हफ्ते में राजे ने संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे भाग के दौरान प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा, कुछ वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की।पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अब सक्रिय होकर राजस्थान में भाजपा के चेहरे के रूप में अपनी स्थिति फिर से हासिल करने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने कहा, "2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद राजे पर पार्टी के बजाय आत्म-प्रचार के लिए एक समानांतर संगठन चलाने का आरोप लगने के बाद उन्हें पार्टी नेतृत्व द्वारा दरकिनार कर दिया गया था। अब पार्टी के कार्यक्रमों में उपस्थित होकर राजे यह संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि वह सक्रिय और प्रासंगिक हैं।
अगले साल के चुनाव के लिए पार्टी के चेहरों को लेकर लड़ाई शुरू हो चुकी है और सभी खेमों ने 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में भाजपा का नेतृत्व करने का दावा करना शुरू कर दिया है। राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ राजे के मतभेद राज्य में एक खुला रहस्य है। पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री का अभी भी राजस्थान इकाई में मजबूत प्रभाव है और अब वह 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले केंद्रीय नेतृत्व के साथ अपने मतभेदों को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं।