
राजस्थान में चुनाव आते ही कांग्रेस के सुर अब बदले-बदले नजर आ रहे हैं । जो गहलोत सरकार राज्य में हिन्दु त्योहारों पर मज़हबियों के द्वारा पथराव किये जाने ,या मंदिर तोड़ने की घटना पर हमेशा चुप्पी साधे रहती है, वह गहलोत सरकार विधानसभा चुनाव आते ही सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति की तरफ अग्रसर हो रही है।
इसी रणनीति को अपनाते हुए इस बार भी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपना सॉफ्ट हिंदुत्व चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है। भाजपा पहले से हिंदुत्व को लेकर कांग्रेस पर हमला करती रही है और लगातार हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करती रही है। यह देखते हुए कोंग्रस ने हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी तयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस 1 और 2 जुलाई को एक सम्मेलन करने जा रही है जो कि सालासर बालाजी मंदिर क्षेत्र में होगा।
इस सम्मेलन को बड़ा बनाने के लिए सभी विधायक और मंत्री शमिल होंगे। सम्मेलन को इस लिए भी ख़ास माना जा रहा है क्योंकि आने वाले समय में विधानसभा चुनाव हैं। इसे देखते हुए पार्टी अपने सभी विधायकों को एक साथ लाकर उनसे चुनाव पर मंथन करेगी। यही नहीं , कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासारा ने कहा है कि मंत्रियो और विधायकों को बुलाकर इस सम्मेलन में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा की जाएगी।
मंदिर तोड़ने की घटना पर कांग्रेस चुप्पी साधे रहती है। राजस्थान में मंदिरो को तोड़ने की कई सारी घटनाएं सामने आयी हैं जिसमे कांग्रेस ने कभी खुल कर कोई बयान नहीं दिया है।
17 अप्रैल 2022 - राजस्थान के अलवर जिले में गहलोत सरकार का बुलडोजर 250 साल पुराने मंदिर पर चलाया गया था। अलवर जिले के राजगढ़ में आने वाले इस मंदिर को अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया गया था। इस घटना का बीजेपी और हिन्दू संगठनों ने भारी विरोध किया था। उस समय के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कहा था कि 250 साल पुराना मंदिर कैसे अतिक्रमण करार दिया जा सकता है।
23 नवम्बर , 2022 - राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड में प्रशासन ने सातपुर तालाब के पास स्थित हनुमान मंदिर को हटा दिया था जिसके बाद मौके पर पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुआ था भारी विवाद था।
राजस्थान के करौली जिले में रामनवमी के अवसर पर एक जुलूस निकाला गया था जिसमे मज़हबियों के द्वारा पथराव किया गया था और कई लोग घायल हुए था जिसकी जाँच करने के बाद राजस्थान पुलिस ने पीड़ित हिन्दुओं को ही जिम्मेदार ठहरा दिया था। वही दूसरी तरफ नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर उदयपुर में कंन्हैयालाल की हत्या दो मज़हबियों के द्वारा कर दी गयी। ऐसे मामलों पर कांग्रेस ने अपनी चुप्पी साधना ही ज्यादा जरुरी समझा।
राजस्थान में अनेक मामले हैं जिसमे हिन्दुओ पर हुए अत्याचार को कांग्रेस ने कभी गंभीरता से नहीं लिया है। लेकिन अब विधानसभा चुनाव आते देख गहलोत सरकार अब हिन्दुओं की शुभचिंतक बन रही है जो की एक नाटक सा लगता है। अब देखने लायक ये होगा कि राजस्थान की जनता आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के इस पैतरे को किस तरह लेती है।