पहले मुर्गा, अब मुंडन देश का युवा क्यों है बेहाल, सुनो सरकार

बेरोजगार युवाओं का कहना है कि सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए। आज हमने सरकार को जगाने के लिए मुडंन कराया है
सरकार को जगाने के लिए बेरोजगारों ने  मुडंन कराया

सरकार को जगाने के लिए बेरोजगारों ने  मुडंन कराया

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डेस्क न्यूज. पहले मुर्गा बना, सड़क पर दुकान लगाकर कर समान भी बेचा, दंडवत भी लगाई, और अब मैंने मुंडन भी करा लिया है। अपने घरों से सैकड़ों मील दूर बैठा हूं, ना मेरे सुबह के खाने का पता है और ना ही शाम के खाने का, अब तो मेरे पास पैसे भी खत्म हो गए हैं, लेकिन कोई बात नहीं, हम ने भी ठान रखा है कि जब तक आप हमारी बात नहीं सुनेंगे, तब-तक हम भी यहां से नहीं जाएगें। और हां एक बात आप समझ लें, कि अगर हम आपको सिंहासन पर बैठा सकते हैं तो हम और क्या कर सकते हैं, आप ये भी समझ लिजिए... ये आवाज है हमारे देश के बेरोजगार युवाओं की जो पिछले 60 दिनों से ज्यादा समय से राजस्थान के जयपुर में अपने हक के लिए शहीद स्मारक पर धरने पर बैठे है।

कल तीन युवाओं ने करवाया अपना मुंडन

जयपुर के शहीद स्मारक पर चल रहे धरने में कल युवाओं ने अपनी मांग को पूरा कराने के लिए मुंडन करा लिया। बेरोजगार युवाओं का कहना है कि सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए। आज हमने सरकार को जगाने के लिए मुडंन कराया है, ताकि सरकार तक हमारी मांग पहुंचे। हमारा संर्घष तब-तक जारी रहेगा जब तक की सरकार हमारी मांग नहीं सुन लेती।

<div class="paragraphs"><p>जयपुर के शहीद स्मारक पर युवाओं का अनोखा प्रदर्शन</p></div>

जयपुर के शहीद स्मारक पर युवाओं का अनोखा प्रदर्शन

सरकार के तीन साल पूरे होने पर युवाओं ने किया था अनोखा प्रर्दशन

लगातार अभ्यर्थी सरकार से रीट में पदों को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार है कि युवाओं की बात सुनने को तैयार ही नहीं है। ऐसा नहीं है कि सरकार ने युवाओं से वार्ता नहीं की, लेकिन वार्ता में केवल ओर केवल आश्वासन मिला, लेकिन युवाओं ने ठान लिया है कि अब आश्वासन से काम नहीं चलेगा। जब तक सरकार मांगों को पूरा नहीं कर देती तब-तक आंदोलन जारी रहेगा। इसी क्रम में राजस्थान सरकार के तीन साल पूरे होने पर युवाओं ने राजस्थान के जयपुर में शहीद स्मारक पर मुर्गा बनकर कर विरोध किया।

क्या है पूरा मामला

24 दिसंबर 2018 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 31 हजार पदों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा की घोषणा की थी, लेकिन उसके बाद कोरोना के चलते परीक्षा की तारीख तीन बार टालनी पड़ी, लेकिन जब दूसरी लहर का प्रकोप थोड़ा कम हुआ तो सरकार ने 26 सितंबर को इस बड़ी परीक्षा का आयोजन कराया। उस समय जब मुख्यमंत्री ने रीट के 31000 पद की घोषना की थी, उस समय इतने पद काफी थे लेकिन इस दौरान बड़ी सख्या में शिक्षक सेवानिवृत्त हुए हैं। स्कूल में शिक्षकों के ऊपर बोझ बढ़ा है।

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