डेस्क न्यूज. रीट पेपर लीक मामले में एसओजी ने रविवार रात जयपुर के जिला समन्वयक प्रदीप पाराशर को गिरफ्तार किया है। एसओजी की टीम ने पाराशर से दो दिन तक पूछताछ की। अब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बर्खास्त अध्यक्ष डीपी जरौली को भी एसओजी पूछताछ के लिए बुलाएगी। प्रदीप पाराशर और डीपी जरौली से आमने-सामने बैठकर पूछताछ की जाएगी।
एडीजी एसओजी अशोक राठौड़ का कहना है कि जिन अभ्यर्थियों ने नकल के सहारे REET पास किया है, उनका रिजल्ट बोर्ड से ब्योरा लेकर रद्द कर दिया जाएगा। ऐसे सभी उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एसओजी ने ऐसे 13 लोगों को गिरफ्तार किया है।
प्रदीप पाराशर ने एसओजी से बर्खास्त बोर्ड अध्यक्ष डीपी जरौली पर रामकृपाल मीणा को शिक्षा परिसर में डालने का आरोप लगाया है। रामकृपाल मीणा से पूछताछ में पता चला कि प्रदीप पाराशर ने शिक्षा परिसर के स्ट्रांग रूम से पेपर दिया था। जहां से भजनलाल, पृथ्वीलाल मीणा समेत नकल करने वाले गिरोह को कागज भेजा गया।
एसओजी ने भजनलाल, रामकृपाल मीणा, उदराम बिश्नोई से लेकर प्रदीप पाराशर तक के कॉल रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है। भजनलाल के कॉल रिकॉर्ड के आधार पर एसओजी ने अजमेर स्थित रीट कार्यालय से कुछ अभ्यर्थियों का डाटा भी लिया है। अब इन रीट उम्मीदवारों की जांच एसओजी द्वारा की जाएगी और पूछताछ की जाएगी।
राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने एक दिन पहले तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि राजीव गांधी स्टडी सर्कल से जुड़े लोग पेपर लीक के मास्टरमाइंड हैं। प्रदीप पाराशर को 2011 और 2012 में भी कांग्रेस सरकार में रीट परीक्षा का समन्वयक बनाया गया था। तब बोर्ड के चेयरमैन सुभाष गर्ग थे। प्रदीप पाराशर, मंत्री सुभाष गर्ग और बोर्ड अध्यक्ष डीपी जरौली सभी करीबी दोस्त हैं। ऐसे में प्रदीप पाराशर को शिक्षा परिसर में समन्वयक बनाया गया है।
बड़ा सवाल अब ये खड़ा हो रहा है कि आखिर किसकी सह पर पेपर लीक हुआ। पेपर लीक मामलें में क्या आरोपीयों को राजनीति संरक्षण प्राप्ता है? इतने बड़े स्तर पर आयोजित परीक्षा का पेपर आखिर कैसे लीक हो गया? बिना किसी राजनीति संरक्षण के क्या पेपर लीक हो सकता था? मामलें की जांच आखिर क्यों सीबीआई को नहीं दी जा रही? क्या महज मौहरों की गिरफ्तारी से मामला खत्म हो जाएगा।
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