राजस्थान CM गहलोत ने क्यों फोड़ा पूर्व CAG विनोद राय पर UPA सरकार के जाने का ठीकरा, समझिए

राजस्थान CM गहलोत ने क्यों फोड़ा पूर्व CAG विनोद राय पर UPA सरकार के जाने का ठीकरा, समझिए

गहलोत मौके की नजाकत को समझते हैं, अ​भी पांच राज्यों में चुनाव हैं। ऐसे में कहीं न कहीं गहलोत ने अपने वक्तव्य के माध्यम से यूपीए और खास कर कांग्रेस की छवि को चमकाने की कोशिश की है। राजस्थान में तीसरी बार सीएम के पद पर काबिज अशोक गहलोत कांग्रेस में विभिन्न बड़े पदों पर रहे हैं। ऐसे में जब किसी प्रदेश का सीएम कोई बयान देता है तो उसकी बात में वजन होता है इसका असर बड़े स्तर पर दिखाई देता है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश में जादूगर के तौर पर पहचाने जाते हैं, कई बार तोल-मोल की बात प्रधानमंत्री तक को कह देते हैं तो कभी इतने स्ट्रेट फार्वड हो जाते हैं कि हैरानी होती है। जब सचिन पायलट विधायकों को लेकर मानेसर में बैठ गए थे तब मीडिया में गहलोत की ओर से सचिन के बारे में बताई गई बायोग्राफी जगजाहिर है। वहीं कभी कभी उनके बयान मौके की नजाकत को देख कर भी होते हैं। अब यूपीए सरकार के जाने का जिम्मेदार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में कैग के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विनोद राय को ठहराया है। गहलोत ने कहा कि 2जी और कोलगेट को लेकर विनोद राय के बयान से देश में यूपीए के खिलाफ माहौल बन गया। इससे यूपीए सरकार चली गई। सीएम ने कहा कि मुझे विनोद राय याद हैं जो चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं थे, ब्यरोक्रेट थे, सीएजी थे। राय ने उस दौरान 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का घोटाला बताकर पता नहीं 2जी और कोलगेट को लेकर क्या क्या बोल दिया।

​जिसे गहलोत 15-20 दिन पुराना मामला बता रहे वो 3 माह पुरानी बात
गहलोत ने कहा कि हाल ही में 15-20 दिन पहले उन्होंने संजय निरुपम से लिखित में माफी मांगी है। बता दें कि गहलोत जिस संजय निरुपम से माफी मांगने का जिक्र कर रहे हैं वो 15 से 20 दिन नहीं बल्कि तीन माह पुराना मामला है। बहरहाल गहलोत ने कहा कि यदि आप इतने जिम्मेदार पद हैं और ये हालात हो जाएं कि आपको माफीं मांगनी पड़े तो फिर क्या कहा जा सकता है। की स्थिति में बैठे हैं और यह स्थिति उत्पन्न हो गई है, तो आप क्या कह सकते हैं?
देश में हमारी यूपीए सरकार के खिलाफ हवा बना दी
गहलोत ने आगे कहा कि 'विनोद राय के महज भाषण ने हमारे खिलाफ और देश में हमारी यूपीए सरकार के खिलाफ हवा बना दी। भले ही हमारे खिलाफ झूठे आरोप लगे हों, लेकिन एक बार देश ने स्वीकार कर लिया कि विनोद राय सही कह रहे हैं कि यूपीए सरकार में 1.76 लाख करोड़ का भ्रष्टाचार था और फिर सरकार बदल गई। बता देंकि सीएम गहलोत ने ये वाकया इंडियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एसोसिएशन के वर्चुअल समारोह में बताया।
विनोद राय सीए नहीं थे, ब्यरोक्रेट थे - गहलोत
गहलोत ने कहा कि विनोद राय वाली घटना से मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि आज भी समाज में एक चार्टर्ड एकाउंटेंट की साख कितनी अहमियत रखती है। इस विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा। एक बार सीए कोई बात कह दे कि तो ऑडिट करके कहा होगा, इतनी बड़ी क्रैडिबिलिटी है। विनोद राय सीए नहीं थे, ब्यरोक्रेट थे, लेकिन सीएजी होते तो उसी तरह का काम करते थे। गहलोत ने कहा कि उस दौरान यूपीए सरकार ने बहुत अच्छा काम किया था। पहली बार अधिकार-आधारित युग की शुरुआत हुई थी। आरटीआई, आरटीई, नरेगा जैसे कानूनों और योजनाओं को आमजन को अधिकार के रूप में दिया गया। ये कोई छोटी बात नहीं थी। डॉ. मनमोहन सिंह जैसे व्यक्ति प्रधानमंत्री थे, जिनकी दुनिया में एक अलग तरह की आभा है। विनोद राय ने उस दौरान 1.76 लाख करोड़ के घोटाले का बयान दिया था। यह झूठ था, लेकिन इसने माहौल बदल दिया।

मैं खुद पब्ल्कि अकांउट्स कमेटी पीएसी का मेंबर था

1949 में चार्टर्ड अकाउंटेंट एक्ट बनना इस बात का सबूत है कि इकोनॉमी, सोसायटी और इंडस्ट्रियल डवलपमेंट में चार्टर्ड अकाउंटेंट का कितना योगदान है। पूरे देश की अर्थव्यवस्था में सीए का बहुत बड़ा योगदान है। मैं खुद 1980 में पब्ल्कि अकांउट्स कमेटी पीएसी का मेंबर था। इसलिए मुझे अहसास है कि सीए का कितना महत्व है।

अभी गहलोत की ओर से कोल और टूजी स्पैक्ट्रम स्कैम ​का जिक्र करने के क्या है मायने?
गहलोत मौके की नजाकत को समझते हैं, अ​भी पांच राज्यों में चुनाव हैं। ऐसे में कहीं न कहीं गहलोत ने अपने वक्तव्य के माध्यम से यूपीए और खास कर कांग्रेस की छवि को चमकाने की कोशिश की है। राजस्थान में तीसरी बार सीएम के पद पर काबिज अशोक गहलोत कांग्रेस में विभिन्न बड़े पदों पर रहे हैं। ऐसे में जब किसी प्रदेश का सीएम कोई बयान देता है तो उसकी बात का असर बड़े स्तर पर दिखाई देता है।
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मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत ने फिर साधा मीडिया पर निशाना, सरकार के दबाव में है मीडिया मालिक
ये पहला मौका नहीं जब गहलोत ने विनोद राय को निशाने पर लिया हो
सीएम अशोक गहलोत इससे पहले भी पूर्व सीएजी विनोद राय पर निशाना साधते रहे हैं। गहलोत कई बार विनोद राय पर देश के सामने गलत तथ्य पेश करने का आरोप लगाते रहे हैं। बता दें कि विनोद राय ने देश का सीएजी रहते हुए 2जी घोटाले, कोयला घोटाले का पर्दाफाश किया था। इससे तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ माहौल बन गया था।
<div class="paragraphs"><p>former Comptroller and Auditor General (CAG) | File Photo</p></div>

former Comptroller and Auditor General (CAG) | File Photo

Jakob Polacsek

कौन हैं विनोद राय?

विनोद राय भारत के 11वें नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) थे। राय जनवरी 2008 में इस पद को संभाला और मई 2013 तक इस पद पर काबिज रहे। इसी दौरान विनोद राय ने पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में हुए लाखों करोड़ रुपये के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले और कोयला घोटाले का सनसनीखेज खुलासा किया था, जिसके बाद विनोद राय चर्चा में आए थे।

राय ने कैग को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने में अहम रोल अदा किया

23 मई, 1948 को जन्मे विनोद राय ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर्स डिग्री हासिल की है। इसके बाद हॉर्वड विश्वविद्यालय से उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का खुला समर्थन किया। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) के पद पर रहते हुए इस संस्था को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने में अहम रोल अदा किया।

<div class="paragraphs"><p>former Comptroller and Auditor General (CAG) | File Photo</p></div>

former Comptroller and Auditor General (CAG) | File Photo

1972 बैच के केरला कैडर के आईएएस अधिकारी हैं विनोद राय

विनोद राय 1972 बैच के केरला कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने थ्रिसूर जिले में सब-कलेक्टर के तौर पर अपना करियर शुरू किया। बाद में वो कलेक्टर बने और थ्रिसूर जिले में आठ साल बिताए। बाद में विनोद राय 1977 से 1980 के बीच केरल राज्य को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन के एमडी रहे। इसके बाद उन्हें केरल राज्य का मुख्य सचिव (वित्त) नियुक्त किया गया।

इसके बाद वो कई और अहम पदों पर काम करते हुए सीएजी के पद तक पहुंचे। फरवरी 2016 में विनोद राय को बैंक बोर्ड ब्यूरो का चेयरमैन बनाया गया। ये पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों में उच्च स्तर पर नियुक्तियों को लेकर सरकार को अपनी सलाह देते हैं। विनोद राय को मार्च 2016 में पद्म भूषण अवॉर्ड से नवाजा गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें ये सम्मान दिया।

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