Rajasthan: पुलिस कल्याण पर करोड़ों खर्च; हादसा हुआ तो खुली पोल, राजधानी में नहीं पुलिस के पास एंबुलेंस

राजस्थान के जयपुर में हिट एंड रन का मामला सामने आया है। जहां पर घटना के बाद 108 नंबर एंबुलेंस नहीं पहुंची, 45 मिनट बाद पुलिस ने शव को लोडिंग वाहन में डाल दिया। जबकि सरकार हर साल पुलिस कल्याण पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है।
Rajasthan: पुलिस कल्याण पर करोड़ों खर्च; हादसा हुआ तो खुली पोल, राजधानी में नहीं पुलिस के पास एंबुलेंस

राजस्थान के जयपुर में हिट एंड रन का मामला सामने आया है। घटना 22 गोदाम औद्योगिक क्षेत्र के करतारपुरा नाले के पास हुई। घटना उस समय हुई जब एक्टिवा सवार 35 वर्षीय कन्हैया कुमार खस्ता हाल सड़क पर बड़े ब्रेकर से टकराकर सड़क पर गिर गया। युवक के सड़क पर गिरते ही सामने से आ रही तेज रफ्तार पिकअप ने इस एक्टिवा सवार युवक को कुचल दिया।

हादसा इतना भीषण था कि एक्टिवा सवार युवक की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलने के बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची। पिकअप चालक युवक को कुचल कर मौके से फरार हो गया।

संवेदनहीनता ऐसी की 45 मिनट तक शव सड़क पर पड़ा रहा।

इस दर्दनाक हादसे के बाद स्थानीय लोगों और पुलिस ने 108 को फोन किया। लेकिन 45 मिनट तक 108 नंबर पर नहीं पहुंची। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने एक लोडिंग टेंपो को मौके पर बुलाया। उसमें शव रखकर सवाई मानसिंह अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया।

कन्हैया कुमार बिहार का रहने वाला था। जो करतारपुरा इलाके में ही रहता था। कन्हैया पिंक सिटी टूर एंड ट्रैवल्स नाम की कंपनी में ड्राइवर का काम करता था। देर शाम किसी काम से बाजार जा रहा था। अचानक हादसा हो गया। फिलहाल दुर्घटना थाना साउथ पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर पिकअप चालक की तलाश शुरू कर दी है।

पुलिस की लाचारी ने मेंटेनेंस के नाम पर एंबुलेंस तक छीन ली

जयपुर कमिश्नरेट पुलिस के पास दो एंबुलेंस थीं। जिनका काम शवों को लाना और ले जाना था। जयपुर कमिश्नरेट के अधिकारियों ने वर्ष 2019 में मेंटेनेंस के नाम पर उन एंबुलेंस को बाड़े में भेज दिया था। इसके बाद से कमिश्नरेट के सभी थानों में आए दिन परेशानी होती है। अज्ञात शव, आकस्मिक मृत्यु या हत्या या आत्महत्या की स्थिति में थाना पुलिस को अपने स्तर पर एंबुलेंस की व्यवस्था करनी होती है। इसमें पुलिस का काफी समय बर्बाद होता है।

पुलिस कल्याण पर करोड़ों रुपए खर्च

पुलिस निजी अस्पताल की एंबुलेंस के जुगाड़ में लग जाती है। कल के हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। 108 नंबर नहीं पहुंची लेकिन 45 मिनट बाद पुलिस ने शव को लोडिंग वाहन में डाल दिया। सरकार हर साल पुलिस कल्याण पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि जयपुर कमिश्नरेट पुलिस के पास एंबुलेंस तक नहीं है।

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