
Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव 25 नवंबर को होने जा रहा है। इसको लेकर चुनावी चर्चा तेज हो गयी है। हर गली, नुक्कड़ और चौराहें पर चर्चाएं सुनाई दे रही है।
ऐसा ही नजारा देखने को मिला चार नंबर डिस्पेंसरी के नजदीक चाय की थड़ी पर बैठे रामगोपाल यादव और आत्माराम शर्मा के बीच चुनावी चर्चा चल रही थी।
पूछने पर यादव ने कहा कि गोपाल शर्मा क्षेत्र के लिए नया चेहरा हैं। लोग उन्हें नहीं जानते, खाचरियावास जाना पहचाना चेहरा है।
इस पर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस तुष्टिकरण करती है। इसलिए चुनाव में इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
शास्त्री नगर आरपीए रोड पर चुनावी चर्चा में मशगूल श्रीराम शर्मा और मुकेश कुमार ने कहा कि खाचरियावास मंत्री रहते कलेक्ट्रेट सर्किल, रेलवे स्टेशन पर ट्रैफिक जाम की समस्या का हल नहीं निकाल पाए।
इसी तरह की चर्चा बनीपार्क, सोडाला, हसनपुरा, शांतिनगर सहित क्षेत्र की कॉलोनियों में है। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन में सिविल लाइंस नाम से नई सीट बनी थी।
पिछले 15 सालों में यहां दो बार 2008 व 2018 में कांग्रेस के प्रताप सिंह खाचरियावास विधायक बने। 2013 में भाजपा के अरुण चतुर्वेदी ने जीत हासिल की थी।
इस बार भाजपा ने चतुर्वेदी का टिकट काट दिया और पेशे से पत्रकार गोपाल शर्मा को मैदान में उतारा है। शर्मा का यह पहला चुनाव है।
खाचरियावास लगातार चौथी बार मैदान में हैं। इस चुनाव में भाजपा क्षेत्रीय समस्याओं की बजाय राष्ट्रवाद, महिला अत्याचार, तुष्टिकरण, भ्रष्टाचार और पेपर लीक जैसे मुद्दे उठा रही है।
कांग्रेस कॉलोनियों से हाईटेंशन लाइन हटाने, सीसीटीवी कैमरे लगाने, सड़कें ठीक कराने और कांग्रेस की गारंटी योजनाओं के जरिए कई तरह के वादे कर रही है।
गोपाल शर्मा परंपरागत वोट बैंक से उम्मीद लगाए बैठे हैं। जबकि खाचरियावास सरकार की योजनाओं को भुनाने में लगे हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी खाचरियावास का मजबूत पक्ष दबंग नेता की छवि, लगातार चौथा चुनाव, अब तक दो बार जीते, एक बार हारे।
लोगों से सीधा जुड़ाव। एससी-एसटी, मुस्लिम मतदाताओं पर अच्छी पकड़, बड़ी संख्या में राजपूत मतदाता भी पक्ष में।
कमजोर पक्ष : मुनेश गुर्जर प्रकरण से गुर्जर वोट खिसकने का खतरा, क्षेत्र में अतिक्रमण, ट्रैफिक जाम की समस्या का निराकरण नहीं करा पाए। परिवहन विभाग में हुई एसीबी की कार्रवाई का भी असर पड़ सकता है। सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेसी।
भाजपा प्रत्याशी गोपाल शर्मा का मजबूत पक्ष ब्राह्मण समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक, परंपरागत वोट बैंक वैश्य, जैन, राजपूत 55 हजार से अधिक, आरएसएस से जुड़ाव।
कमजोर पक्ष : पहली बार मैदान में उतरे हैं। क्षेत्र के मतदाताओं से अनभिज्ञ, सीधा जुड़ाव नहीं, सांगानेर से तैयारी कर रहे थे, टिकट मिल गया सिविल लाइंस से। इसलिए कार्यकर्ताओं में पकड़ कमजोर। भाजपा के टिकट के अन्य दावेदारों से भीतरघात की आशंका।
इस सीट पर वैश्य 30 हजार, ब्राह्मण 25 हजार, जैन 12 हजार, राजपूत 15 हजार, एससी-एसटी 60 हजार, ओबीसी 50 हजार, मुस्लिम 10 हजार, अन्य 43 हजार मतदाता हैं।
पिछली बार का रिजल्ट
पिछली बार इस सीट पर 236991 मतदाता थे। इनमें से 164271 ने मतदान किया था और वोटिंग 69.32 फीसदी हुई थी। यहां कांग्रेस के प्रताप सिंह खाचरियावास ने सीधे मुकाबले में भाजपा के अरुण चतुर्वेदी को 18078 वोटों से हराया था।
खाचरियावास को 87937 और अरुण चतुर्वेदी को 69859 वोट मिले थे। पिछली बार 18 प्रत्याशी मैदान में थे।
10 उम्मीदवार मैदान में
भाजपा ने अरुण चतुर्वेदी का टिकट काटकर गोपाल शर्मा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने एक बार फिर प्रताप सिंह खाचरियावास को ही टिकट दिया है।
यहां से कुल 10 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें आम आदमी पार्टी के अर्चित गुप्ता, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नारायण सिंह,
राजस्थान डेमोक्रेटिव फ्रंट के गजेंद्र सिंह, इंडियन पीपुल्स ग्रीन पार्टी की नाजमीन बेगम, निर्दलीय कीर्ति राठौड़, कैलाश पालावत, लक्ष्मी कंवर, सफीक मोहम्मद हैं।