Poltical News: इंडी गंठबंधन के तितर-बितर होने के बाद कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बार लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट से नहीं लड़ेंगी यह लगभग साफ़ हो गया है।
ऐसी खबर आ रही है, कि वह इस बार राजस्थान के रास्ते राज्यसभा पहुंच सकती हैं। अगर सोनिया इस बार रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ती हैं, तो देश के सबसे बड़े प्रदेश यानी UP से सबसे पुरानी पार्टी का खात्मा हो जाएगा।
2019 चुनाव से पहले कांग्रेस की यहां दो सीटें थी लेकिन इसी साल राहुल गांधी को बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी इस कदर हराया की वो अपनी जमानत ही बच पाए थे। जिसके बाद सोनिया गांधी की रायबरेली सीट बची थी। अब खबर आ रही है कि सोनिया भी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी।
राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं है, कि सोनिया गांधी राजस्थान के रास्ते राज्यसभा पहुंच सकती हैं। पहले चर्चा थी कि सोनिया कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल प्रदेश के रास्ते उच्च सदन आएंगी लेकिन पार्टी सूत्रों ने पत्रकारों को बताया था कि उनके लोकसभा चुनाव न लड़ने की संभावना है। सोनिया के इस फैसले की वजह स्वास्थ्य संबंधी कारणों को बताया जा रहा है।
अप्रैल-मई 2024 में होने वाले आम चुनाव में अगर 78 वर्षीय सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ती हैं तो कौन उनकी जगह लेगा। सूत्रों की माने तो उनकी बेटी और कांग्रेस नेत्री प्रियंका वाड्रा गांधी को वहां से मौका मिल सकता है।
लेकिन ऐसा होता है तो BJP फिर कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाएगी और कहेगी कि कांग्रेस के लाखों कार्यकर्त्ता होने के बावजूद उन्हें सीट पर उतारने के लिए अपने परिवार का ही कोई सदस्य मिला।
आपको बता दें कि रायबरेली सीट कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए शुरू से खास रही है। यहां गांधी परिवार का वर्चस्व रहा है।
यह उनकी विरासत से जुड़ी हुई सीट है। सोनिया से पहले इस सीट से फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी, अरुण नेहरू, शीला कौल जैसे नेता इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।
सोनिया गांधी अगर यहां से चुनाव नहीं लड़ती हैं तो कांग्रेस का देश के सबसे बड़े प्रदेश से सफाया हो जाएगा। यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं।
दिल्ली की गद्दी का रास्ता UP से होकर गुजरता है। जब देश के सबसे बड़े प्रदेश से ही किसी पार्टी का सफाया हो जाए तो चुनाव में क्या हश्र होगा इसका अनुमान लगाना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है।
वहीं BJP इस बार मेनका गांधी और वरुण गांधी को टिकट नहीं देने का मन बना रही है। सूत्रों के मुताबिक वरुण गांधी इन दिनों अखिलेश यादव से नजदीकी बढ़ा रहे हैं, ताकि पीलीभीत से वो सपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकें।
आए दिन वरुण PM मोदी और बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाते रहते हैं। मेनका गांधी की सक्रियता भी काफी कम दिखाई दे रही है।
शायद मेनका और वरुण को आभाष हो गया है कि इस बार उन्हें बीजेपी उम्मीदवार नहीं बनाएगी। अगर ऐसा होता है तो उत्तर प्रदेश से गांधी परिवार का वर्चस्व ख़त्म हो जाएगा।