सरकार तो बदलती रही है, लेकिन नेताओं एक ब्यान नहीं बदला, डुबो दिया पिछली सरकार ने राजस्थान को कर्ज में

Rajsthan News: राजस्थान में डबल इंजन कि भजनलाल सरकार ने अं​तरिम बजट में बड़ी घोषणाएं कर वोट बैंक को साधने के साथ अलग छवि पेश करने का प्रयास किया है।
सरकार तो बदलती रही है, लेकिन नेताओं एक ब्यान नहीं बदला, डुबो दिया पिछली सरकार ने राजस्थान  को  कर्ज में
सरकार तो बदलती रही है, लेकिन नेताओं एक ब्यान नहीं बदला, डुबो दिया पिछली सरकार ने राजस्थान को कर्ज में
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Rajsthan News: राजस्थान में डबल इंजन कि भजनलाल सरकार ने अं​तरिम बजट में बड़ी घोषणाएं कर वोट बैंक को साधने के साथ अलग छवि पेश करने का प्रयास किया है।

अंतरिम बजट की तुलना पिछले दो अंतरिम बजट यानी 2014 (वसुंधरा राजे सरकार) और 2019 (गहलोत सरकार) से की जाए तो दो रिकॉर्ड तोड़े हैं।

पहला- सवा घंटे के भाषण के साथ अब तक सबसे ज्यादा घोषणाएं। इतनी घोषणाएं न तो राजे और न ही गहलोत सरकार के दौरान हुई।

राजे सरकार में 11 और गहलोत सरकार में 21 पेज में अंतरिम बजट था, जबकि दीया कुमारी ने 51 पेज के अंतरिम बजट का भाषण पढ़ा।

लेकिन, इन तीनों अंतरिम बजट में जो नहीं बदला वो था- एक-दूसरे पर कर्ज बढ़ाने का आरोप

2014 में भी वसुंधरा राजे ने पूर्ववर्ती सरकार पर कर्ज बढ़ाने का आरोप लगाया। जब गहलोत सरकार आई तो उन्होंने राजे सरकार पर इसका आरोप लगाया और अब दीया कुमारी ने अंतरिम बजट पेश किया तो कर्ज दोगुना बढ़ाने का आरोप गहलोत सरकार पर लगाया।

दीया कुमारी के भाषण में गहलोत सरकार पर प्रदेश को कर्ज में डुबोने, जल जीवन मिशन में गड़बड़ी करने और पेपर लीक समेत कई घोटालों का जिक्र करते हुए आरोप लगाए।

वित्त मंत्री दीया कुमारी ने विधानसभा में पिछली सरकार के कार्यकाल में राज्य पर कुल कर्ज भार लगभग दोगुना होकर साल 2023-24 के बजट अनुमानों के अनुसार 5 लाख 79 हजार 781 करोड़ रुपए हो गया है।

राज्य का डेब्ट जीएसडीपी अनुपात सामान्य श्रेणी के राज्यों में पंजाब के बाद सबसे ज्यादा है। इसके साथ ही 2023-24 के अंत में राज्य में प्रति व्यक्ति कर्ज साल 2017-18 के 36,880 रुपए से बढ़कर 70800 रुपए हो जाना संभावित है।

पिछली सरकार के कार्यकाल में लिए गए 2,24,392 करोड़ रुपए के कर्ज में से केवल 93577 करोड़ रुपए को ही पूंजीगत खर्च किया गया।

इससे साफ है कि पिछली सरकार ने लगभग 60% कर्ज का उपयोग गैर पूंजीगत राजस्व खर्च के लिए किया अर्थात प्रदेश के दीर्घकालीन विकास और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की ओर समुचित ध्यान ही नहीं दिया गया।

अशोक गहलोत की सरकार में

अशोक गहलोत ने कहा था कि मेरी पिछली सरकार को दिसंबर 2008 में विरासत में 36.38 फीसदी कर्ज भार मिला था।

हमारी सरकार अपने बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन से इसे घटाकर साल 2013 तक 23.58% तक ले आई। पिछली सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन से यही कर्ज भार बढ़कर 32 फीसदी से अधिक पर पहुंच गया।

 साल 2013-14 में हमारी सरकार के समय राज्य पर कुल कर्ज 1,29,910 करोड़ था। साल 2018-19 के संशोधित अनुमानों के अनुसार कर्ज और दूसरी देनदारियां 138 फीसदी बढ़कर 3 लाख 9385 करोड़ रुपए होना अनुमानित है, इस प्रकार गत सरकार राज्य पर एक बड़ा कर्ज भार छोड़कर गई है।

पिछली सरकार ने केवल सरकारी क्षेत्र के लघु और सीमांत किसानों को 50000 तक की कर्ज माफी और बड़े किसानों को अनुपातिक लाभ देने की घोषणा की थी। उस घोषणा का भी 75 प्रतिशत वित्तीय भार हमारी सरकार के ऊपर छोड़कर गए हैं, जो लगभग 6000 करोड़ रुपए होगा।

वसुंधरा राजे की सरकार में

वसुंधरा राजे: पिछली सरकार ने 2013-14 के बजट अनुमानों के अनुसार 1025 करोड़ 86 लाख रुपए का रेवेन्यू सरप्लस और 13019 करोड़ 86 लाख रुपए का फिस्कल डेफिसिट अनुमानित किया गया था।

रेवेन्यू सरप्लस और फिस्कल डेफिसिट का अनुमान जानबूझकर गलत किया गया। उदाहरण देते हुए बताया- सामाजिक पेंशन योजनाओं के तहत बजट अनुमान मात्र 710 करोड़ रुपए रखा गया था, लेकिन बजट पेश करते समय घोषणा कि 1500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान किया जाएगा।

यदि 1500 करोड़ रुपए के अतिरिक्त भार का प्रावधान बजट में कर दिया जाता तो रेवेन्यू सरप्लस 1025 करोड़ की जगह 475 करोड़ रुपए के रेवेन्यू डेफिसिट में बदल जाता ।

वसुंधरा राजे ने लेखानुदान पेश करते हुए कहा था- वास्तव में पेंशन योजना पर खर्च 2540 करोड़ रुपए होगा, जिसका प्रावधान अब हमने संशोधित बजट अनुमानों में किया है।

इस साल की तीसरी तिमाही में होने वाले चुनाव को देखते हुए पूर्व सरकार ने सितंबर महीने तक लगभग 14000 करोड़ रुपए का एडिशनल ऑथराइजेशन बजट से पहले जाकर किया।

 राजस्थान रेवेन्यू डेफिसिट में रहेगा और फिस्कल डेफिसिट के भी जीएसडीपी के 3.56% तक पहुंचाने का अनुमान है, जो एफआरबीएम कानून की सीमा 3 फीसदी से ज्यादा है। इसके कारण राज्य को नेशनल स्मॉल सेविंग फंड-एनएसएस- के कर्ज पर ब्याज दरों में मिलने वाली 172 करोड़ रुपए की राहत से वंचित रहना पड़ेगा।

हर सरकार के लेखानुदान में पिछली सरकार पर आरोप, इस बार भी वही परंपरा निभाई

प्रदेश में हर बार नई सरकार आते ही पूरा बजट लाने की जगह लेखानुदान पेश करती रही है, लोकसभा चुनाव मई में होने के समय से लेखानुदान पेश हो रहे हैं।

प्रदेश में पेश किए गए लेखानुदानों में घोषणाओं के साथ पिछली सरकारों पर आरोपों की भरमार रहती आई है।

अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे ने जब भी लेखानुदान पेश किए, एक दूसरे की सरकार पर जमकर आरोप लगाए।

13 फरवरी 2019 को तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने लेखानुदान पेश किया था। लेखानुदान के भाषण में पिछली वसुंधरा राजे सरकार पर प्रदेश को विकास की पटरी से उतारने, कुशासन करने और प्रदेश को कर्ज में डुबोने के आरोप लगाए।

वसुंधरा राजे ने भी 20 फरवरी 2014 को लेखानुदान पेश करने के दौरान पिछली गहलोत सरकार पर राज्य को कर्ज में डुबोने के साथ गलत आंकड़े पेश करने के आरोप लगाए थे।

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