गहलोत की राजधानी जयपुर में हैरिटेज नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बनाई जा रही है 3 मंजिला से ऊंची बिल्डिंग

जयपुर सिटी में कुछ लोग बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहें है। लेकिन गहलोत सरकार में इन सबकों नजरअंदाज किया जा रहा है।
गहलोत की राजधानी जयपुर में हैरिटेज नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बनाई जा रही है 3 मंजिला से ऊंची बिल्डिंग
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चारदीवारी को विश्व विरासत के दर्जा मिलने के बाद भी एकरूपता में बहुत से कार्य राह की बाधा बन रहे हैं। राज्य के कुछ लोग इसे पूरी तरह से सहयोग कर रहे है तो कई लोग इसमें सहयोग करने से बच रहें है। कुछ लोग इलाके में स्मार्ट सीटी के तहत हो रहे गुलाबी रंग को प्राथमिकता नहीं दे रहें है। वहीं कुछ लोग तो बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहें है। लेकिन गहलोत सरकार में इन सबकों नजरअंदाज किया जा रहा है।

इन इलाकों में बन रहीं निर्धारित सीमा से उंची इमारतें
2019 में जयपुर के परकोटा इलाके को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था। उसके बाद परकोटा इलाके में विरासत को बचाने के लिए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई। इन इलाकों में तीन मंजिल से ज्यादा इमारत बनाने पर रोक है लेकिन फिर भी कई लोग इस कानून का उल्घंन करते दिख रहें है। तालकरोटा, चांदपोल, घाटगेट सहित कई ऐसे बाजार हैं जहां निर्धारित सीमा से ऊंची इमारतें बन रही हैं।

विश्व विरासत का तमगा होने के बाद भी हो रहें अतिक्रमण

शहर में तीन मंजिल से ज्यादा ऊंची इमारत नहीं होनी चााहिए , लेकिन फिर भी गलियों में 12 मीटर और मुख्य बाजार में 15 मीटर से ऊंचे भवन बन रहे हैं। गलियाें में विरासत को तोड़कर नया स्वरूप दिया जा रहा है। हेरिटेज कंजर्वेशन कंसलटेंट कविता जैन की मानें तो स्मार्ट सिटी और विश्व विरासत का तमगा मिलने के बाद भी अतिक्रमण कम नहीं हो रहा है।

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गुलाबी रंग को नहीं मिल रही प्राथमिकता
विश्व विरासत में शामिल इलाके को स्मार्ट सिटी के तहत गुलाबी रंग से रंगवाया जाना है लेकिन फिर भी कई दुकानदार और रसूखदार इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। वह अपने पसंदीदा कलर से इमारतों को रंगवा रहे हैं। इसके अलावा जिन इलाकों में अवैध निर्माण किया जा रहा है वहां भी ये लोग अपनी मनमानी करते नजर आ रहें है। सरकारी अधिकारी भी इन मामलों में लीपापोती ज्यादा कर रहे हैं। ऐसे में लग रहा है कि गुलाबी रंग की एकरूपता का सपना शायद सपना ही रह जाएगा।

विजिलेंस टीम में 160 लोग, लेकिन नतीजा जीरो

निगम की विजिलेंस टीम में 160 कर्मचारी हैं। लेकिन फिर भी सिटी में अतिक्रमण, बिल्डिंग बाइलॉज के नियमों का पालन करवाने पर किसी का ध्यान नहीं है। यह टीम बाहरी इलाकों जैसे आदर्शनगर, ट्रांसपोर्ट नगर, एमआई रोड, बनीपार्क, सी-स्कीम आदि में चारदीवारी से ज्यादा सक्रिय है।

यूनेस्को की वर्कशॉप के बाद जो जिम्मेदारी मिली है, उसके अनुरूप काम होना चाहिए। जो अतिक्रमण हाे रहे हैं वो हटेंगे तभी हालात सुधरेंगे। पुराने समय से यहां के ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर माना गया है, उसमें तोड़फोड़ के बाद या कचरे की वजह से पानी ठहरने लगा है उसे बेहतर करना जरूरी है।

चंद्र शेखर पाराशर, एडिशनल चीफ टाउन प्लानर

सिर्फ 6 मंदिरों और दो स्कूलों का हुआ जीर्णोद्धार

बीतें सालों में RTDC द्वारा गोपीनाथजी, तड़केश्वर, राधा कृष्ण मंदिर, बृजनिधि मंदिर, बाईजी मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। इसके अलावा तालकटोरा, मानक चौक स्कूल और दरबार स्कूल का स्वरुप लौटाया गया है।

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