चारदीवारी को विश्व विरासत के दर्जा मिलने के बाद भी एकरूपता में बहुत से कार्य राह की बाधा बन रहे हैं। राज्य के कुछ लोग इसे पूरी तरह से सहयोग कर रहे है तो कई लोग इसमें सहयोग करने से बच रहें है। कुछ लोग इलाके में स्मार्ट सीटी के तहत हो रहे गुलाबी रंग को प्राथमिकता नहीं दे रहें है। वहीं कुछ लोग तो बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहें है। लेकिन गहलोत सरकार में इन सबकों नजरअंदाज किया जा रहा है।
शहर में तीन मंजिल से ज्यादा ऊंची इमारत नहीं होनी चााहिए , लेकिन फिर भी गलियों में 12 मीटर और मुख्य बाजार में 15 मीटर से ऊंचे भवन बन रहे हैं। गलियाें में विरासत को तोड़कर नया स्वरूप दिया जा रहा है। हेरिटेज कंजर्वेशन कंसलटेंट कविता जैन की मानें तो स्मार्ट सिटी और विश्व विरासत का तमगा मिलने के बाद भी अतिक्रमण कम नहीं हो रहा है।
निगम की विजिलेंस टीम में 160 कर्मचारी हैं। लेकिन फिर भी सिटी में अतिक्रमण, बिल्डिंग बाइलॉज के नियमों का पालन करवाने पर किसी का ध्यान नहीं है। यह टीम बाहरी इलाकों जैसे आदर्शनगर, ट्रांसपोर्ट नगर, एमआई रोड, बनीपार्क, सी-स्कीम आदि में चारदीवारी से ज्यादा सक्रिय है।
यूनेस्को की वर्कशॉप के बाद जो जिम्मेदारी मिली है, उसके अनुरूप काम होना चाहिए। जो अतिक्रमण हाे रहे हैं वो हटेंगे तभी हालात सुधरेंगे। पुराने समय से यहां के ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर माना गया है, उसमें तोड़फोड़ के बाद या कचरे की वजह से पानी ठहरने लगा है उसे बेहतर करना जरूरी है।
चंद्र शेखर पाराशर, एडिशनल चीफ टाउन प्लानर
बीतें सालों में RTDC द्वारा गोपीनाथजी, तड़केश्वर, राधा कृष्ण मंदिर, बृजनिधि मंदिर, बाईजी मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। इसके अलावा तालकटोरा, मानक चौक स्कूल और दरबार स्कूल का स्वरुप लौटाया गया है।