ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जीवाड़े मामले में रोज हो रहे नए खुलासे ,अब तक 2100 से अधिक फर्जी NOC जारी

ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले की शुरुआत जयपुर के सरकारी हॉस्पिटल एसएमएस में ACB की देर रात रेड मारने से शुरू हुआ, उस रेड में सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और ई.एच.सी.सी. अस्पताल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट संयोजक अनिल जोशी को 70 हजार रुपये रिश्वत लेते-देते पकड़ा गया।
ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जीवाड़े मामले में रोज हो रहे नए खुलासे ,अब तक 2100 से अधिक फर्जी NOC जारी
ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जीवाड़े मामले में रोज हो रहे नए खुलासे ,अब तक 2100 से अधिक फर्जी NOC जारी

ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले की शुरुआत जयपुर के सरकारी हॉस्पिटल एसएमएस में ACB की देर रात रेड मारने से शुरू हुआ।

उस रेड में सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और ई.एच.सी.सी. अस्पताल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट संयोजक अनिल जोशी को 70 हजार रुपये रिश्वत लेते-देते पकड़ा गया।

बस तब ही जयपुर के सारे निजी और सरकारी अस्पताल ACB की रडार पर आ गए और तब से इस मामले में एक के बाद एक नए खुलासे होते जा रहे हैं।

निजी और सरकारी अस्पतालों में चल रहा ऑर्गन्स का धंधा

राजधानी जयपुर में ऑर्गन्स की खरीद का धंधा चलाया जा रहा है। ट्रांसप्लांट करवाने वालों में बांग्लादेश और नेपाल के मरीज भी शामिल है।

ACB ने सभी निजी अस्पतालों और स्टेट कमिटी से 2021 जनवरी से अब तक का सारा रिकॉर्ड मांगा था। जब रिकॉर्ड सामने आया तो धीरे धीरे खुलासे होता चले गए।

ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में फर्जी NOC देने के मामले में ACB ने 2 मार्च को फोर्टिस अस्पताल में सर्च कर 20 फाइल जब्त की थीं।

ACB के डीआईजी डॉ रवि ने बताया कि एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह की ओर से फर्जी हस्ताक्षर करके जारी की गई कंप्लीट NOC में से 40% से ज्यादा मामले विदेशी (बांग्लादेश, नेपाल और कम्बोडिया) है।

तत्काल सेवा के नाम पर पकडे गए दोनों अस्पतालों के दलाल उनसे 1 से डेढ़ लाख रुपये तक वसूलते थे और फर्जी NOC के बदले में गौरव को 30 से 50 हजार रूपए तक दिया करते थे।

इस मामले में एक और अस्पताल का नाम शामिल हुआ वो था फोर्टिस और फिर एक बाद एक सभी निजी अस्पतालों के नाम सामने आते गए।

वो बातें जो आपको कर देंगी हैरान

इस मामले में फिर कई चौकाने वाली बातें सामने आयी। आरोपी गौरव के संपर्क में ई.एच.सी.सी के अनिल के अलावा फोर्टिस के विनोद सिंह, महात्मा गांधी के किशोर, निम्स के राजू और नारायणा की निधि भी शामिल थी।

तमाम शिकायतों के बाद ACB ने 12 मार्च से गौरव के मोबाइल को सर्विलांस पर लिया था। ACB की पूछताछ में ये भी पता चला कि डोनर-रिसीवर के ब्लड रिलेशन नहीं होने कि वजह से गिरोह

6 लाख रुपए तक की डिमांड करता।गौरव की रिकॉर्डिंग्स में ये भी सामने आया कि गौरव प्रिंसिपल और कमेटी के नाम से भी पैसे ले रह था और इसके अलावा फोर्टिस अस्पताल से 3 मार्च को 10 की गई।

हरियाणा के गुरुग्राम में पकड़ा गया किडनी ट्रांसप्लांट का गिरोह

फिर हरियाणा के गुरुग्राम में पकड़ा गया किडनी के अवैध ट्रांसप्लांट करने वाला गिरोह। हरियाणा पुलिस ने ये दावा किया है कि इस गिरोह के तार जयपुर के ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जीवाड़े से जुड़े हुए हैं।

फोर्टिस में किडनी निकाले जाने की बात गुरुग्राम के गेस्ट हाउस में पकडे गए बांग्लादेशी ने स्वीकार की है।

बता दें कि जयपुर में हर माह 100 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट होते हैं।गौरव 15 अप्रैल से पहले 107 फर्जी NOC निजी अस्पतालों को देने वाला था। इन 107 ट्रांसप्लांट्स में से सबसे अधिक किडनी ट्रांसप्लांट्स महात्मा गांधी में होते थे।

जानें कौन-कौन है घेरे में

पिछले 3 साल से ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए बनी कमेटी ने एक भी मीटिंग नहीं की है। आखिरी मीटिंग 2021 के नवम्बर माह में हुई थी।

इन तीन सालों में 2100 से अधिक NOC जारी की जा चुकी है। अब ऐसे में कमेटी के सदस्यों भी कलाई सवाल खड़े हो उठते हैं।

अभी कमेटी के अध्यक्ष एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ राजीव बरघट्टा हैं और सदस्यों में डॉ रामगोपाल यादव, डॉ अनुराग धाक, डॉ भावना जगवानी, और अर्पणा सहाय हैं।

इधर ऑर्गन ट्रांसप्लांट NOC के कार्यालय अधीक्षक की भूमिका भी संदेह के घेरे में है क्यूंकि कमेटी से पहले ये इनकी ज़िम्मेदारी होती है।सभी को पता था की निजी अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट किये जा रहे हैं। लेकिन NOC जारी कर कौन रहा है इस बारे में कभी किसी ने चर्चा नहीं की।

यहां तक की जब निजी अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जानकारी को सार्वजनिक किया गया तब भी इनमे से किसी ने सवाल उठाना जरुरी नहीं समझा और NOC जारी होती रही।

अब इस मामले में ACB के साथ पुलिस विभाग भी पूरी तरह से एक्टिव हो गया है। इस मामले के तह तक जाने के लिए पुलिस ने एक टीम गुरुग्राम में भी भेज दी है।

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