इतिहास में अपने झंडे गाड़ने वाला राजूपताना बन गया राजस्थान, जानें पूरी कहानी

राजस्थान का इतिहास काफी रोमांचक रहा है ,राजस्थान को अपनी संस्कृति, कला, और गौरवमयी इतिहास के लिया जाना जाता है। आज राजस्थान अपना 75वां स्थापना दिवस मना रहा है।
इतिहास में अपने झंडे गाड़ने वाला राजूपताना बन गया राजस्थान, जानें पूरी कहानी
इतिहास में अपने झंडे गाड़ने वाला राजूपताना बन गया राजस्थान, जानें पूरी कहानी

राजस्थान का इतिहास काफी रोमांचक रहा है ,राजस्थान को अपनी संस्कृति, कला, और गौरवमयी इतिहास के लिया जाना जाता है।

आज राजस्थान अपना 75वां स्थापना दिवस मना रहा है। 30 मार्च को 1949 को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राजस्थान को प्रदेश बनाने की घोषणा की थी।

हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा 14 जनवरी ,1949 में ही कर दी गई थी। राजस्थान से पहले इसका नाम राजपुताना हुआ करता था।

ये नाम जार्ज थॉमस ने 1800 ईंसवी में दिया था और आगे चलकर इन्होनें ही इसका नाम राजस्थान भी रखा। कहा जाता है कि आजादी के बाद ,अजमेर-मारवाड़ा राजस्थान का हिस्सा बने,

लेकिन बाकी राजघराने सोच में थे ,कोई पकिस्तान में मिलना चाहता था तो कोई अपने स्वतंत्र राज्य बनाना चाहता था लेकिन पटेल के प्रयासों से राजस्थान को 22 रियासतें विरासत में मिली।

राजस्थान को मिली सबसे बड़े राज्य की पहचान

18 मार्च ,1948 में पहले चरण में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतें जुडी जिनका नाम रखा गया मत्स्य संघ।

25 मार्च को कोटा, बूंदी, झालवाड़, डूंगरपुर,बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ टोंक, शाहपुरा और कुशलगढ़ रियासतें मिली और एक प्रदेश बना जिसका नाम राजस्थान रखा गया।

18 अप्रैल को उदयपुर भी राजस्थान में मिल गया। इसके बाद चौथे चरण में जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर और शामिल हुए,

जिसके बाद राजस्थान को मिली एक सबसे बड़े राज्य होने की पहचान,उसके बाद कई चरणों में एक के बाद एक रियासतें शामिल होती गयी और बना गया एक संयुक्त राजस्थान।

दुश्मनों को भी दोस्त बना ले, ऐसे होते है राजस्थानी

राजस्थान के लोगों अपने मेहमाननवाजी और मिलनसार स्वाभाव के लिए जाना जाता है। राजस्थान में कहावत है "अतिथि देवो भवः"जिसका अर्थ है अतिथि यानि मेहमान भगवान समान है।

इस कहावत को राजस्थानियों ने अपने जेहन में अच्छे से उतर लिया है। यहां के लोग तो दुश्मन को भी अपना बना लेते हैं। यहां के लोगों के स्वभाव की और अपनेपन की मिसालें दी जाती है।

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