राजस्थान में नए जिलों की मांग को लेकर दिन प्रतिदिन आंदोलन हो रहे है। वहीं कल यानि 10 मार्च को अशोक गहलोत सरकार ने रामलुभाया कमेटी का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गहलोत तीसरी बार के सीएम लेकिन गहलोत के सीएम रहते हुए अब तक नए जिले नहीं बने है।
कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों समेत कई लोगों को उम्मीद थी कि इस बार अशोक गहलोत सरकार बजट में नए जिलों की घोषणा कर सकती है क्योंकि चुनावी साल में सरकार नए जिलों की घोषणा कर बड़ा दांव खेल सकती है। गहलोत सरकार जानती है कि जिलों का मुद्दा जनता के लिए भावनात्मक है इसलिए सरकार ने इसे फिलहाल टालना ही उचित समझा।
पिछले साल के बजट में सीएम अशोक गहलोत ने नए जिले बनाने के लिए हाई पावर कमेटी बनाने का ऐलान किया था। इसके बाद 21 मार्च 2022 को रामलुभाया की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। पहले छह महीने में रिपोर्ट देनी थी लेकिन दो बार अवधि बढ़ा दी गई। इस बार इस समिति का कार्यकाल 13 मार्च को समाप्त हो रहा था। दो दिन पहले इसे फिर से छह माह के लिए बढ़ा दिया गया है।
सरकार ने रामलुभाया कमेटी का कार्यकाल 13 सितंबर तक के लिए बढ़ाकर नई जिलों की घोषणा में टाल दे दी है। जब तक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आएगी तब तक सरकार नए जिलों की घोषणा नहीं करेगी।
सरकार ने रामलुभाया कमेटी के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर कारण बताया है कि नए जिलों के प्रस्तावों पर कलेक्टर्स से सूचना एकत्र कर परीक्षण करने, उसके बाद कमेटी की रिपोर्ट पेश करने में समय लगना संभावित है। इसे देखते हुए कमेटी के कार्यकाल को बढ़ाया गया है।
रामलुभाया कमेटी के पास 24 जिलों के 60 जगहों के नेता अलग-अलग ज्ञापन देकर नए जिलों की डिमांड रख चुके है।
बताया जाता है कि सीएम ने नए जिलों के सियासी फायदे नुकसान पर फीडबैक लिया था। इस फीडबैक में फायदे से ज्यादा नुकसान की बात सामने आ रही थी।इसलिए फिलहाल के लिए मामला टालना ही उचित समझा गया।
सीएम अशोक गहलोत तीसरी बार के सीएम है। गहलोत के सीएम रहते हुए अब तक नए जिले नहीं बने हैं। बीजेपी राज में ही नए जिले बने है।
प्रदेश में वसुंधरा राजे के सीएम कार्यकाल में 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ को 33वां जिला बनाया गया। तब से पिछले 9 साल में कोई भी नया जिला नहीं बना है।