बाड़मेर में एक पुजारी ने मंदिर में आरती करने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुजारी भीमदास (55) के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें लिखा है- मैं चोर नहीं हूं, मरते हुए झूठ नहीं बोल रहा हूं। सभी को मेरा अंतिम सलाम...बुधवार को सुबह 10 बजे मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं ने पुजारी को फंदे से लटकते देखा। उसे नीचे उतारकर अस्पताल ले जाया गया। तब तक मौत हो चुकी थी। दरअसल, सोमवार मंगलवार की दरमियानी रात 2 बजे मंदिर में चोरी हो गई। पुलिस ने इस संबंध में पुजारी से पूछताछ की थी। तब से पुजारी परेशान था। मृतक के पास मिले सुसाइड नोट में भी इसका जिक्र था।
सुसाइड नोट...
खत्री समाज राम राम सा मैं भीमदास आपके मंदिर का पुजारी। मैंने चोरी नहीं की है। जो भी चोर है आप उसका पता लगाना। मरते समय झूठ नहीं बोल रहा हूं। मेरे पीछे किसी को परेशान मत करना। विवेक बेटा मैंने चोरी नहीं की है। फिर भी मुझे बदनाम कर दिया। अब तक जो भी कमाया मेहनत पर पानी फेर दिया। मेरे पोते को प्यार करना। मेरे बेटे मैं मरना नहीं चाहता और मुझे बदनाम कर दिया।- भीमदास
भाई नरसिंह दास जी प्रणाम, मैं चोर नहीं हूं। खत्री समाज मुझे बदनाम कर दिया। मेरी मौत की वजह समाज है। रवीना की मम्मी का ध्यान रखना। तेरे पापा का आखिरी सबको राम राम कहना।- भीमदास
अस्पताल ले जाने के बाद डॉक्टरों ने किया मृत घोषित
जानकारी के मुताबिक रोज की तरह सुबह पुजारी भीमदास मंदिर पहुंचे। मंदिर में आरती करने के कुछ देर बाद ही उसने मंदिर परिसर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद दर्शन करने आए लोगों ने देखा कि पुजारी के शव को नीचे उतारकर समदड़ी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पुजारी भीमदास लंबे समय से अपने परिवार के साथ समदड़ी में रह रहे हैं। पुजारी एक दशक से अधिक समय तक मंदिर में पूजा करते हैं। बेटा-बेटी के बाहर होने के कारण पूरे परिवार के पहुंचने के बाद ही घटना की पूरी जानकारी सामने आएगी।
मृतक भीमदास का परिवार मंदिर से 100 मीटर दूर एक मकान में किराए पर रहता था। उनका एक बेटा विवेक और बेटी रवीना है। बेटी रवीना का ससुराल पास के गांव राखी में है। वह मंदिर में पूजा करने के साथ-साथ गाड़ी चलाने का काम भी करता था। और परिवार का पालन पोषण करता था।