Religious Conversion: बेटे का विवाह तो बेटी का निकाह.. ये कैसा धर्म?

Religious Conversion: राजस्थान के अजमेर जिले में ब्यावर क्षेत्र के आस पास बसी एक बिरादरी के लोग धीरे-धीरे मुस्लिम रीति रिवाज अपनाने लग गए है। ये लोग धर्म संतुलन के नाम पर एक बेटे का विवाह करते हैं तो दूसरे का निकाह पढ़ते हैं...
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Religious ConversionKuldeep Choudhary

Religious Conversion: धर्म परिवर्तन का एक अनोखा रंग, अजमेर जिले के ब्यावर क्षेत्र में एक इलाका ऐसा भी है जहां रमा खां, लक्ष्मण खां जैसे नाम है। पिता किशनलाल तो बेटा सलीम.. मां राधा तो बेटी हसीना.. बड़े भाई का नाम महेश तो छोटे का नाम आमीन है।

मतलब नजारा ये है की यंहा के काठात धीरे-धीरे अब मुस्लिम रीति-रिवाज अपनाने लग गए है। ये लोग मंदिरों में शीश नवाते हैं तो वहीं मस्जिद में सजदा भी करते हैं। एक बेटे का विवाह करते हैं तो दूसरे का निकाह पढ़ते हैं। बड़े बेटे का नाम लक्ष्मण है तो छोटे का सलीम। बेटियों में बड़ी बेटी का चेतना तो छोटी का नाम सिमरन है।

देखिये वीडियो..

करीब 10 लाख की आबादी वाली इस जाति ने तीन इस्लामिक रस्में अपना रखी हैं-

  1. खतना कराना

  2. हलाल का खाना

  3. दफनाना

राजस्थान के चार जिलों अजमेर, राजसमंद, भीलवाड़ा और पाली जिले के मध्य बसे पहाड़ी क्षेत्र में ब्यावर के आस-पास बसी काठात बिरादरी होली-दीपावली, रक्षाबंधन सहित सभी हिंदू पर्वों के साथ ईद और ताजिया भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं।

मुस्लिम धर्म अपनाने से पहले हम रावत-राजपूत जाति से संबंधित थे। हमारी शादियां भी रावत जाति में होती थी। मां हिंदू होती तो पिताजी मुस्लिम धर्म मानते थे। हम सभी करीब 700 साल पहले कन्वर्ट हो गए। इसके बाद इस्लाम धर्म ग्रहण करने के बाद यह परंपरा चल रही है। मेरे पिताजी का निकाह हुआ था जबकि मेरे फेरे हुए थे।

कालू खां, निवासी

हालाँकि काठात बिरादरी के कुछ लोग इस धर्म परिवर्तन के खेल का विरोध भी करते है। काठात बिरादरी में दो फाड़ हो रखी है। जो लोग इस परंपरा काे नहीं मानते वे स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि कुछ लोगों की वजह से हमारी बहादुर कौम की फजीहत हो रही है, पर इसे रोके तो कैसे रोके?

निकाह से पहले विनायक स्थापना और कलश पूजा

इतना बदलाव होने के बाद भी बहुसंख्यक काठातों में न पुरुषों का, न ही महिलाओं का पहनावा बदला। पुरुष सिर पर पगड़ी और नीचे धोती पहनते हैं वहीं महिलाएं आज भी घाघरा-ओंढ़नी और कुर्ती-कांचली का लिबास धारण किए हुए हैं।

इस बिरादरी ने शादी की रस्म में निकाह को तो अपना लिया लेकिन निकाह से पहले विनायक स्थापना, कलश पूजा और हल्दी की रस्म को दिल से नहीं निकाल पाए।

वहीं लोगों ने ये भी बताया की यूपी और बिहार से कुछ जमात के लोग यहां की मस्जिदों पर कब्जा करना चाहते हैं, जिससे वे यहां रहकर इस बिरादरी का हुलिया और लिबास बदल सकें। फ़िलहाल नियमित नमाज पढ़ने और रमजान में रोजा रखने वाले कुछ ही लोग हैं।

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