गुरू पूर्णिमा का पर्व हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल गुरू पूर्णिमा 21 जुलाई दिन शनिवार को मनाया जाएगा। गुरू पूर्णिमा को ही महर्षि वेद व्यास का जन्मदिन मनाया जाता है।
महर्षि वेद व्यास चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता थे। इस दिन गुरु, ऋषि-मुनि, शिक्षक, गुरु पादुका पूजन करते है। वेद व्यास ने महाभारत, वेदों और पुराणों सहित कई धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी। आज ही के दिन भगवान बुद्ध ने भी अपने पहले 5 शिष्यों को उपदेश दिया था।
गुरु पूजन करके अपने गुरु को मिठाई, वस्त्र, दान-दक्षिणा आदि भेंट करें। व्यासजी द्वारा रचे हुए ग्रंथों का मनन करके उनके उपदेशों पर अमल करना चाहिए।
आज के दिन गुरु के चरणों में बैठकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। साथ ही गुरुर्ब्रह्मा गुरुःर्विष्णु गुरुदेवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ मंत्र का पाठ किया जाना चाहिए।
इस दिन गुरु मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर, गुरु शिष्य परंपरा को दर्शाने वाले नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है।
लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं और अपने गुरुओं के सम्मान के लिए उन्हें बैठाकर आदर भाव से पूजा की जाती है। इस दिन, शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं।