14 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है। इस दिन स्नान और दान करने के साथ-साथ पेड़-पौधे लगाने की भी परंपरा है। शास्त्रों में बताया गया है कि जब सूर्य वृष या मिथुन राशि में होता है तो उस समय पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को पेड़-पौधे लगाने या उनमें जल डालने से जो पुण्य फल प्राप्त होता है वह कभी समाप्त नहीं होता। साथ ही जाने अनजाने या अनजाने में किए गए पाप ग्रहों की इस युति में किए गए स्नान-दान से दूर हो जाते हैं।
पद्म, विष्णुधर्मोत्तारा और स्कंद पुराण में बताया गया है कि पीपल, आंवला और तुलसी लगाने से कई गुना पुण्य मिलते हैं। अन्य पुराण भी कहते हैं कि इन पवित्र वृक्षों और पौधों को लगाने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही नीम, बिल्वपत्र, बरगद, इमली और आम के पेड़ लगाने से अनजाने में किए गए सभी प्रकार के पाप भी समाप्त हो जाते हैं। इन पेड़-पौधों को लगाने से सभी प्रकार की समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।
मेष: आंवला, गुलहड़, खादिर, ढाक या खैर।
वृष: गुलहड़, जामुन, खैर या गूलर।
मिथुन: खैर, शीशम, बांस या अपामार्ग
कर्क: बांस, पीपल, नागकेसर और पलाश।
सिंह: बरगद, पलाश, पाकर और अंक।
कन्या: पकाड़, अपमार्ग, रीठा, बेल और दूर्वा।
तुला: बेल, अर्जुन, कात्या, बकुल या गूलर।
वृश्चिक: कात्या, नीम, मौलश्री, चीर या खादिर।
धनु: पीपल, केला, शॉल, अशोक या कटहल।
मकर राशि: शमी, कीकर, आक या कटहल।
कुम्भ: शमी, कुश, कदंब या आम।
मीन राशि: आम, पीपल, नीम, महुआ और कुश।
सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र स्नान करें। अगर आप तीर्थ यात्रा पर नहीं जा सकते हैं तो घर के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर स्नान करें। इस पूजा के बाद और दान का संकल्प लेने के बाद जरूरतमंद लोगों को सत्तू, पानी का घड़ा, पंखा और छाता दान कर सकते हैं।
शास्त्रों में इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने का विधान बताया गया है। मंदिर में जाने के बाद दूध में जल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके बाद पीपल को जल चढ़ाएं। पेड़ के नीचे घी का दीपक रखें और उसकी परिक्रमा करें। शाम के समय शिव मंदिर में तिल के तेल का दीपक जलाएं।