तेल अवीव से छपने वाले समाचार पत्र यरूशलम पोस्ट ने फ़रवरी, 1987 में दावा किया था कि इसराइली सैन्य अधिकारियों ने तीन बार भारत से कहूटा परमाणु संयंत्र पर संयुक्त हमले के बारे में बात की थी। डॉ. राजगोपालन के मुताबिक़, इसराइल के लिए इसराइल से जामनगर की लंबी दूरी गुप्त ढंग से तय करना और इसके बाद अपनी मौजूदगी को गुप्त रखना बेहद मुश्किल था।
इसराइल को उस वक़्त संदेह था कि अगर पाकिस्तान परमाणु बम बना लेगा तो उसकी पहुंच इराक़, लीबिया और ईरान तक हो जाएगी। पाकिस्तान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल क़दीर ख़ान पर यूरोपीय संघ की कंपनियों, ईरान, लीबिया और उत्तरी कोरिया से यूरेनियम तकनीक बेचने का आरोप भी लगा।
22 सितंबर, 1984 को जानकारी दी कि भारत पाकिस्तान पर हवाई हमला कर सकता है