रोते-रोते महेश बोले मैं और मेरा परिवार अकेला रह गया
महेश राठौड़ ने कहा कि वह बुरी तरह टूट चुके हैं। ऐसा लगता है कि वह इस दुनिया में अकेला रह गया है। महेश राठौड़ अमरेली के मोरांगी गांव के रहने वाले हैं। लता मंगेशकर महेश राठौड़ को अपना भाई मानती थीं और 2001 से उन्हें राखी बांध रही थीं। महेश यह सोचकर रो रहा है कि अब उनकी दीदी कभी वापस नहीं आएगी। उसकी कलाई सुन्न रहेगी। अब उन्हें कभी भी अपनी लता दीदी को देखने का मौका नहीं मिलेगा।
1995 मुंबई आए तो काम की तलाश कर रहे थें तभी...
महेश राठौड़ ने 1995 में अपना घर छोड़ दिया और आंखों में हजारों सपने लेकर मुंबई आ गए। यहां उन्होंने अपने लिए काम तलाशना शुरू किया। एक दिन जब वह मुंबई में महालक्ष्मी के पास एक मंदिर में बैठे थे, एक आदमी आया और उनसे कहा, 'लता मंगेशकर के घर में एक खाली जगह है।' यह सुनकर महेश राठौड़ को लगा कि ग्रामीण परिवेश से होने के कारण उनका मजाक किया जा रहा है।
लेन देन से लेकर दवा तक लता मंगेशकर का रखते थे खयाल
महेश राठौड़ किसी तरह लता मंगेशकर के घर पहुंचे और फिर यहीं रुक गए। धीरे-धीरे महेश राठौड़ ने लता मंगेशकर के दिल में भी अपनी जगह बना ली। उनकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी उन्होंने अपने ऊपर ले ली। महेश राठौड़ न केवल लता मंगेशकर के केयर टेकर रहे, बल्कि उन्होंने उनके फाइनेंस को भी अच्छे से संभाला। वह लता मंगेशकर के कार्यक्रमों की व्यवस्था भी करते थे और इस बात का भी विशेष ध्यान रखते थे कि लता समय पर दवाएं लें।
लताजी ने महेश की तीनों पुत्रियों के रखे थे नाम
जबकि महेश राठौड़ की पत्नी मनीषा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया, 'साल 2001 में लता दीदी ने अचानक महेश के चाचा को फोन किया। महेश वहां रक्षा बंधन मनाने गए थे। लता दीदी ने महेश को 'प्रभु कुंज' बुलाया। जब मैंने वहां जाकर देखा तो लता दीदी राखी लेकर इंतजार कर रही थीं। मनीषा ने बताया कि लता दीदी ने हमारी तीनों बेटियों के नाम रखे थे।
लता मंगेशकर के घर इस तरह मिला काम
महेश राठौड़ ने बताया कि वे लता मंगेशकर के घर नौकरी मिलने का किस्सा शेयर किया। उन्होंने कहा, 'एक पुलिसकर्मी मुझे राधाकृष्ण देशपांडे के पास ले गया, जो सालों से लता दीदी का काम देख रहे थे उन्होंने मेरा फोन नंबर लिया और 3 दिन बाद मुझे फोन किया और मुझे प्रभु कुंज आने को कहा। एक छोटे से इंटरव्यू के बाद मुझे लता दीदी के लिए काम पर रख लिया गया। शुरुआत में मुझे ड्राइवर की नौकरी दी गई। मैं गाड़ी चलाना नहीं जानता, लेकिन फिर भी मुझे रख लिया गया।
जब महेश को कहा गया कि लता ताई को तुमसे बेहतर इंसान नहीं मिल सकता
उन्होंने कहा, 'एक समय ऐसा भी आया जब महेश राठौड़ नौकरी छोड़ना चाहते थे। लेकिन मैंने उससे कहा कि लता ताई को तुमसे बेहतर आदमी नहीं मिलेगा।'महेश राठौड़ मान गए और फिर वहीं रुक गए। परिवार को यह समझाने में 4 साल लग गए कि महेश लता मंगेशकर के साथ काम करता है। महेश के मुताबिक जब उन्होंने लता दीदी के साथ अपनी तस्वीरें घरवालों को दिखाईं तो उन्हें यकीन हो गया।
दिन में काम और रात को पढ़ाई करते थे
महेश राठौड़ दिन में लता दीदी के घर काम करते और रात में बैठकर पढ़ाई करते थे। इस तरह उन्होंने कॉमर्स में ग्रेजुएशन पूरा किया। दूसरी ओर, राधाकृष्ण देशपांडे ने महेश राठौड़ से कहा कि जब उन्होंने हमारे यहा काम की तलाश की तो उन्होंने उसकी आंखों में सच्चाई देखी।