कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ रिलीज के बाद से लगतार चर्चा में बनी हुई है। सिनेमा घरों में इस फिल्म को देखने के लिए लोगों की भीड उमड रही है। इसी बीच मंगलवार को राजस्थान के कोटा में फिल्म की स्क्रीनिंग से पर धारा 144 लगा दी गई है। कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए जिला कलेक्टर ने यह आदेश दिया।
कोटा में 1 महिने के लिए धारा 144 लागू
कोटा जिले में ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्क्रीनिंग के दौरान दंगों की आशंका को देखते हुए 22 मार्च से 21 अप्रैल तक धारा 144 लागू करने के आदेश दिए गए। यह आदेश मंगलवार सुबह 6 बजे से लागू हो गया है। कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए आदेश में कहा गया कि संवेदनशील त्योहारों जैसे महावीर जयंती, गुड फ्राइडे, वैशाखी आदि के साथ ही सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के मद्देनजर भीड़ के एकत्रीकरण, धरना प्रदर्शन, सभा और जुलूस पर रोक लगाना आवश्यक है। ऐसे में अब कोटा में किसी भी स्थान पर 5 से ज्यादा लोगों के एकत्रित होने पर मनाही है।
सरकारी कार्यक्रम पर कोई प्रतिबंध नहीं
आदेश में कहा गया है कि जिले में धारा 144 लागू होगी पर सरकारी कार्यक्रम पर यह आदेश लागू नहीं होगा। सरकारी कार्यक्रम के साथ-साथ पुलिस, निर्वाचन और कोरोना वैक्सीन अभियान पर भी धारा 144 का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बता दें कि इस आदेश में सोशल मीडिया पर अनावश्यक व भड़काऊ तथ्यों के प्रसारण पर भी रोक लगाई गई है।
महिला मोर्चा प्रदर्शन से डरी सरकार- प्रहलाद गुंजल
कोटा मे धारा 144 लागू होने पर कोटा उत्तर से पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने महिला मोर्चा के चंडी मार्च को देखते हुए कोटा में धारा 144 लगाई है। उनका कहना है कि सरकार पहले भी ऐसा कर चुकी है, पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा आज कोटा में विशाल चंडी मार्च निकाला जाएगा। जिसमें हजारों की संख्या में महिलाएं मौजूद होंगी।
फारूख अब्दुल्ला- दोषी पाया जाऊं, तो फांसी पर लटका दो
‘द कश्मीर फाइल्स’ मूवी आने के बाद कश्मीर घाटी से पंडितों के नरसंहार और पलायन का मुद्दा चर्चा में है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूख अबदुल्ला को इसके लिए दोषी बताया जा रहा है। इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि यह प्रोपेगेंडा मूवी है। इसमे उस घटना का एक ही पक्ष दिखाया है। इस घटना का दुख हिंदू और मुस्लिम सभी लोगों को झेलना पड़ा था। उस घटना पर आज भी मेरा दिल रोता है। राजनीतिक दलों के कुछ तत्व ऐसे थे, जो जातीय नरसंहार में यकीन करते थे। साथ ही अबदुल्ला ने कहा कि 1990 में हुए उस नरसंहार में वह अगर दोषी पाए जाते है तो उन्हें देश में कही भी फांसी पर लटका दिया जाए, वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार है।