अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की स्पेसफ्लाइट कंपनी ब्लू ओरिजिन ने रविवार को कहा कि वह अपनी पहली ह्यूमन स्पेसफ्लाइट के लिए पूरी तरह तैयार है। इस फ्लाइट में जेफ बेजोस समेत चार यात्री होंगे, जो पृथ्वी की सतह से 100 किमी ऊपर कारमन लाइन तक जाएंगे और सुरक्षित वापसी करेंगे। पूरी फ्लाइट का समय 10-12 मिनट का रहने वाला है।
एक हफ्ते पहले 11 जुलाई को ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैन्सन के वर्जिन स्पेस शिप (VSS) यूनिटी स्पेसप्लेन की फ्लाइट सफल रही थी। वे 85 किमी तक गए थे। अब बेजोस 20 जुलाई को स्पेस में जा रहे हैं। वह भी नील आर्मस्ट्रांग के चांद पर पैर रखने के ठीक 52 साल बाद।
खास बात यह है कि ब्रैन्सन के साथ भारतीय मूल की सिरिशा बांदला गई थीं, वहीं जेफ बेजोस का न्यू शेपर्ड रॉकेट बनाने वाली इंजीनियरों की टीम में महाराष्ट्र के कल्याण की 30 वर्षीय संजल गवांडे भी शामिल थीं।
आपको लग रहा होगा कि जहां वायुमंडल खत्म, वहां से स्पेस शुरू हो जाता है। पर ऐसा है नहीं। वायुमंडल तो धरती से करीब 10 हजार किमी ऊपर तक है, लेकिन ये भी अंतिम सच नहीं है। जैसे-जैसे आप ऊपर जाएंगे, हवा कम होती जाएगी। कहां खत्म हो गई है, यह पक्के से पता लगाना मुश्किल है।
और तो और, स्पेस शुरू होने को लेकर अलग-अलग एजेंसियों की अपनी परिभाषाएं हैं। नासा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एरोनॉटिकल और एस्ट्रोनॉटिकल रिकॉर्ड रखने वाले संगठन फेडरेशन एरोनॉटिक इंटरनेशनले का मानना है कि कारमन लाइन से अंतरिक्ष शुरू हो जाता है। तो फिर कारमन लाइन क्या है? यह एक काल्पनिक लाइन है, जो समुद्र की सतह से 100 किमी ऊपर है।
ब्रैन्सन का स्पेसक्राफ्ट करीब 85 किलोमीटर ऊपर तक गया था। इसके बाद भी ब्रैन्सन के वर्जिन गैलेक्टिक की फ्लाइट में सवार सभी यात्री एस्ट्रोनॉट बन गए हैं। इसकी वजह है फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन और यूनाइटेड स्टेट्स एयर फोर्स की स्पेस की परिभाषा, जो अंतरिक्ष को 50 मील (80 किमी) ऊपर मानती है।
बेजोस की फ्लाइट 10-12 की सबऑर्बिटल फ्लाइट होगी, यानी यह पृथ्वी की कक्षा में नहीं जाने वाली। बेजोस की ब्लू ओरिजिन कंपनी का न्यू शेपर्ड रॉकेट वेस्ट टेक्सास के रेगिस्तान से 20 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 6ः30 बजे उड़ान भरेगा।
यात्रियों को सोमवार शाम 6ः30 बजे के लॉन्च से 45 मिनट पहले ऑन-बोर्ड होना होगा। क्रू ने मिशन के लिए 48 घंटे की ट्रेनिंग ली है। यह अच्छी रही है। कर्मचारी भी आठ-आठ घंटे की दो दिन की ट्रेनिंग कर चुके हैं। यह ट्रेनिंग टिकट खरीदने वाले सभी कस्टमर्स के लिए जरूरी होगी। रॉकेट के साथ एक कैप्सूल होगा, जिसमें जेफ बेजोस के साथ उनके भाई मार्क, 82 वर्षीय वैली फंक और 18 वर्षीय टीनेजर ओलिवर डेमेन भी होंगे। इस फ्लाइट के बाद फंक सबसे बुजुर्ग और डेमेन सबसे युवा एस्ट्रोनॉट बन जाएंगे।
करीब तीन मिनट की फ्लाइट के बाद ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड रॉकेट से बेजोस का कैप्सूल अलग होगा और स्पेस में आगे बढ़ेगा। करीब चार मिनट उड़ान भरने के बाद वह 100 किमी ऊपर यानी कारमन लाइन को पार करेगा।
इस दौरान यात्रियों को वेटलेसनेस महसूस होगी और कैप्सूल जमीन पर लौटने की शुरुआत करेगा। करीब 10-12 मिनट की फ्लाइट के बाद कैप्सूल पैराशूट की मदद से रेगिस्तान में उतरेगा। इस दौरान रॉकेट भी धरती पर लौट जाएगा। रॉकेट और कैप्सूल को बार-बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
ब्रैन्सन और जेफ बेजोस की फ्लाइट का पूरी तरह से अलग अनुभव होगा। ब्रैन्सन अपने स्पेसक्राफ्ट में गए थे, जिसे पायलट उड़ा रहे थे। पर बेजोस का कैप्सूल ऑटोनोमस होगा यानी रॉकेट से अलग होकर खुद-ब-खुद आगे बढ़ेगा।
ब्रैन्सन करीब 85 किमी ऊपर तक गए थे, पर बेजोस का कैप्सूल 100 किमी ऊपर कारमन लाइन को क्रॉस करने वाला है। फिर स्पेसक्राफ्ट 90 मिनट की यात्रा के बाद रनवे पर उतरा था और बेजोस का कैप्सूल पैराशूट की मदद से रेगिस्तान में कहीं उतरने वाला है।
वर्जिन गैलेक्टिक की पहली फ्लाइट में फाउंडर रिचर्ड ब्रैन्सन समेत 6 लोग थे, पर ब्लू ओरिजिन की पहली फ्लाइट में कंपनी के फाउंडर बेजोस के साथ कंपनी का पहला कस्टमर ओलिवर भी होगा, जिसने यात्रा का टिकट खरीदा है। टिकट की कीमत नहीं बताई है, पर ब्लू ओरिजिन के लिए सेल्स देखने वाले एरियन कॉर्नेल का दावा है कि कुछ और लोगों ने भी टूरिस्ट फ्लाइट बुक की है।
हां। यह फ्लाइट कई रिकॉर्ड भी बनाएगी। यह ब्लू ओरिजिन की पहली बिना पायलट की सबऑर्बिटल फ्लाइट होगी, जिसमें आम नागरिक सवार होंगे। सबसे बुजुर्ग और सबसे युवा एस्ट्रोनॉट भी इस फ्लाइट से बनने वाले हैं।
न्यू शेपर्ड रॉकेट और उसका कैप्सूल RSS फर्स्ट स्टेप दोबारा इस्तेमाल हो सकते हैं। रॉकेट और कैप्सूल इससे पहले भी उड़ान भर चुके हैं और इस मिशन से पहले दो बार सफलता के साथ लैंड कर चुके हैं। न्यू शेपर्ड के लिए अब तक 15 फ्लाइट्स सफल रही हैं। पर अब तक यात्री कभी नहीं गए।
महाराष्ट्र के कल्याण की रहने वाली 30 वर्षीय संजल गवांडे उस टीम का हिस्सा है, जिसने ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड रॉकेट को बनाया है। कॉमर्शियल स्पेसफ्लाइट कंपनी में सिस्टम इंजीनियर संजल ने मुंबई यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की हैं। वे 2011 में मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री लेने अमेरिका गई थीं।
म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के कर्मचारी की बेटी संजल ने मास्टर्स डिग्री के लिए एयरोस्पेस सब्जेक्ट लिया था और फर्स्ट क्लास से उसे पास किया। कल्याण के कोलसेवाड़ी इलाके में रहने वाले अशोक गवांडे का कहना है कि वह हमेशा स्पेसशिप बनाना चाहती थी। इस वजह से उसने मास्टर्स डिग्री में एयरोस्पेस को सब्जेक्ट के तौर पर चुना। वह सिएटल में ब्लू ओरिजिन में सिस्टम्स इंजीनियर के तौर पर काम कर रही है।
यह लॉन्च ब्लू ओरिजिन के लिए स्पेस में जॉयराइड के फ्यूचर मार्केट के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। अभी कंपनी ने यह नहीं बताया है कि फ्यूचर के टिकट की कीमत कितनी होगी, पर भारतीय मुद्रा में यह टिकट करोड़ों का होने वाला है।
आम लोगों ने पहले भी पैसे देकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक की ऑर्बिटल फ्लाइट्स की सवारी की है। पर यह ट्रैवल सोयूज रॉकेट्स और कैप्सूल्स थे, जिसे रशियन स्पेस एजेंसी ने ऑपरेट किया था। इसका मतलब है कि व्यवहारिक रूप से स्पेस टूरिज्म इंडस्ट्री ब्रैन्सन के बाद बेजोस की फ्लाइट से ही आकार लेगी।
ब्रैन्सन की कंपनी की तैयारी 2022 से हर हफ्ते लोगों को स्पेस तक ले जाने की है। इसके लिए वह 2.50 लाख डॉलर यानी करीब 1.90 करोड़ रुपए वसूलने की तैयारी में है। इसी आधार पर रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक स्पेस टूरिज्म मार्केट 3 बिलियन डॉलर, यानी करीब 26 हजार करोड़ रुपए का होने जा रहा है।
ब्रैन्सन की वर्जिन गैलेक्टिक और बेजोस की ब्लू ओरिजिन के अलावा एलन मस्क की स्पेस एक्स भी ऑर्बिटल टूरिज्म फ्लाइट्स की प्लानिंग कर रही है। इसी साल मस्क की कंपनी का पहला सिविलियन क्रू स्पेस मिशन लॉन्च होने वाला है। यह ऑर्बिटल फ्लाइट होगी, जिसमें अरबपति जारेड इसाक्सन और तीन अन्य इसी साल उड़ान भरने वाले हैं।