11 मई 1998 की वो तारीख जो इतिहास के पन्नों में लिखी गई, इस दिन राजस्थान के पोखरण में तीन बमों का सफल परीक्षण किया गया था, जिसके बाद भारत न्यूक्लियर स्टेट बन गया, ये परीक्षण देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में किया गया था। पोखरण parmanu परीक्षण के मिशन का नाम 'ऑपरेशन शक्ति' था, इस मिशन में अहम भूमिका निभाने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे, वह उस समय रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक के पद पर थे।
देश का यह दूसरा parmanu परीक्षण था, इससे पहले राजस्थान के जैसलमेर से करीब 140 किमी दूर लोहारकी गांव के पास मलका गांव में 18 मई 1974 को भारत ने गांव के एक सूखे कुएं में पहला परमाणु परीक्षण किया था ये परमाणु परीक्षण इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ था, इसके बाद 11 मई 1998 का दिन भारत के लिए यादगार बन गया,
परमाणु बम परीक्षण करना आसान नहीं था, परमाणु परीक्षण के फैसले को लेकर देश में भी विपक्षी दलों ने उनपर निशाना साधा, अटल बिहारी वाजपेयी जब पोखरण परीक्षण पर संसद में जवाब देने उतरे तो उन्होंने जहां विपक्ष को निरुत्तर कर दिया । वहीं दुनिया को ये साफ संदेश दिया कि "ये भारत बदला हुआ भारत है, दुनिया से आंख मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहता है, किसी प्रतिबंध से झुकेगा नहीं और शांति और सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा."
अचानक किए गए इन परमाणु परीक्षणों से अमेरिका, पाकिस्तान समेत कई देश दंग रह गए थे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी।
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