Article 370 : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35(A) को समाप्त हुए दो साल पूरे हो गए हैं। इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- लद्दाख और जम्मू और कश्मीर में बांटा गया था। संविधान के इन्हीं हिस्सों के चलते जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला था और अपने मूल निवासी नियम तय करने का अधिकार प्राप्त था।
हालांकि, दो सालों के बाद भी क्षेत्र में सियासी उथल-पुथल जारी है। कई राजनीतिक दल जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दोबारा दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। अब एक नजर उन पांच बड़े बदलावों पर डालते हैं, जिनका गवाह पूरा देश बना।
बीते साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का रास्ता तैयार कर दिया था।
सरकार की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश में जमीन विक्रय से जुड़े जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से वह वाक्य हटा दिया था, जिसमें राज्य के स्थाई रहवासी की बात की गई थी।
हालांकि, इस संशोधन के बाद भी कुछ मामलों के छोड़कर सरकार ने कृषि भूमि को गैर किसानों को दिए जाने की अनुमति नहीं दी है।
जुलाई में हुए नियमों में बदलाव के बाद जम्मू-कश्मीर के बाहर अन्य राज्यों में शादी करने वाली महिलाओं के पति भी मूल निवासी प्रमाण पत्र हासिल कर सकेंगे। इसके चलते वे यहां संपत्ति भी खरीद सकेंगे या सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन दे सकेंगे।
केंद्र शासित प्रदेश में 15 सालों तक रहने वाले या सात साल तक पढ़ाई करने और क्षेत्र की 10वीं या 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले लोग और उनके बच्चे भी मूल निवासी का दर्ज हासिल कर सकेंगे।
31 जुलाई को जारी हुए आदेश के बाद पत्थरबाजों पासपोर्ट और सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं ले सकेंगे। जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी विंग ने पत्थरबाजी या विध्वंस में शामिल लोगों को पासपोर्ट और सरकारी सेवाओं के लिए सिक्युरिटी क्लियरेंस देने से मना कर दिया है।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद श्रीनगर के शासकीय सचिवालय में भारतीय तिरंगा लहराया गया। जबकि, इस दौरान राज्य का अपना ध्वज गायब था।