झारखंड के देवघर में त्रिकूट पर्वत (Trikut mountain) पर रोपवे हादसे (jharkhand ropeway accident) को सेना, वायुसेना और NDRF ने अपने हाथ में ले लिया है। सोमवार सुबह के बाद हेलीकॉप्टर से फिर से बचाव कार्य शुरू कर दिया गया।
20 घंटे बाद 22 लोगों को बचा लिया गया है। अभी भी लोग हवा में लटकी ट्रॉली में फंसे हुए हैं। तार की जाली के कारण एनडीआरएफ और सेना के कमांडो को बचाव में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
सुबह छह घंटे की मशक्कत के बाद हेलीकॉप्टर वापस लौटा था। (Deoghar Ropeway Accident) अब फिर से योजना बनाकर रेस्क्यू शुरू किया गया है। कमांडो दो ट्राॅलियों के गेट खोलने में कामयाब रहे। वायुसेना के तीन हेलीकॉप्टर ऑपरेशन में लगे हुए हैं।
रविवार की शाम करीब 4 बजे हादसा उस समय हुआ जब पहाड़ पर बने मंदिर की तरफ एक साथ 26 ट्रॉलियां रवाना की गईं। इससे तारों पर अचानक लोड बढ़ गया और रोलर टूट गया। तीन ट्रॉलियां पहाड़ से टकरा गईं। इनमें से दो ट्रॉलियां नीचे गिर गईं। इनमें सवार 12 लोग जख्मी हो गए और दो लोगों की मौत हो गई। उधर, बाकी ट्रॉलियां आपस में टकराकर रुक गईं। अभी 18 ट्रॉलियां फंसी हुई हैं, जिसमें अब भी 26 लोग सवार हैं। इनमें छोटे बच्चे और महिलाएं भी हैं।
रात भर रोपवे की ट्रॉली में बैठे लोग हवा में लटके रहे। एक-दूसरे से बात करके लोग अपनी घबराहट को दूर करते रहे। सुबह सेना ने रेस्क्यू शुरू किया। वायुसेना का हेलीकॉप्टर सुबह करीब साढ़े छह बजे पहुंच पाया। बचाव दल में कमांडो भी मौजूद हैं। ऑपरेशन शुरू करने से पहले हेलीकॉप्टर ने हवाई सर्वेक्षण किया। हवा में फंसी ट्रॉली में फंसे लोगों को नीचे लाने की योजना तैयार की गई थी।