कर्नाटक में एक बार फिर हिजाब विवाद का मामला सामने आया है। हाल ही में मैंगलौर विश्वविद्यालय में 12 छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लासरूम में घुसने से मना कर दिया गया । छात्राओं ने हिजाब पहनकर कैम्पस में प्रवेश किया।
लेकिन जब वो क्लासरूम में जाने लगी तो उन्हें रोक दिया गया। उन्हें लाईब्रेरी में भी प्रवेश नहीं दिया गया। मामला बढने पर कॉलेज के प्रिसिंपल ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वो अपनी बात पर अड़ी रही।
दरअसल दो दिन पहले कुछ छात्रों ने प्रदर्शन किया था। उनका कहना था कि अदालत के आदेश के बाद भी 44 छात्राएं कक्षा में हिजाब पहने हुए हैं। जिस पर ध्यान देते हुए विश्वविद्यालय ने आदेश निकाला था कि क्लासरूम में सिर्फ यूनिफॉर्म ही पहननी होगी और अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
इसी नियम को लेकर प्रिसिंपल ने छात्राओं को समझाने की कोशिश की लेकिन छात्राएं अपनी जिद पर अड़ी रही। जिद पर अड़े रहने की वजह से छात्राओं को क्लासरूम और लाइब्रेरी में प्रवेश नहीं दिया गया। लिहाजा छात्राएं वापस घर चली गईं।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुब्रमण्य यदापदिथया ने कहा कि समिति की बैठक में फैसला किया गया कि छात्राओ को हिजाब नहीं पहनने दिया जाएगा। हालांकि वह कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन जब वह क्लास रूम या फिर लाइब्रेरी में जाएंगी तो उन्हें हिजाब उतारना होगा। हालांकि हिजाब उतारने के लिए वो महिला रेस्टरूम का इस्तेमाल कर सकती हैं।
बता दें कि मैंगलोर में हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं कुछ महीने पहले भी पूरे देश भर में हिजाब विवाद ने सुर्खियां बटोरी थी। विवाद अदालत तक में गया था और वहां कोर्ट ने आदेश दिया था कि शैक्षणिक संस्थानों में सिर्फ यूनिफॉर्म पहनी जाएगी। इसके अलावा कुछ और पहनना अलाउड नही होगा।
वहीं इसी फैसले की पालना करते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लासरूम में घुसने से रोका था।