एमपी के सीधी जिले में पत्रकार (journalist kanishk tiwari stripped) और थिएटर कलाकार को थाने में बंद कर उनके वस्त्र उतरवाने के मामले की देशभर में आलोचना की जा रही है। वहीं इस घटना के बाद सीधी पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है। चौतरफा आलोचना के बाद सीधी पुलिस ने इस पर सफाई दी है, लेकिन जो जवाब आया है, वो लोगों को पच नही रहा है। पुलिस ने पत्रकार के कपड़े उतरवाने की वजह सुरक्षा को बताया है।
सीधी के जिस पुलिस स्टेशन में पत्रकार कनिष्क तिवारी (journalist kanishk tiwari stripped) और रंगकर्मियों के कपड़े उतरवाकर बैठाया गया वहां के प्रभारी प्रभारी मनोज सोनी ने कहा कि हमने इनको पूरी तरह से नंगा नहीं किया है... सभी ने अंडरवियर पहन रखी है... उनके कपड़े इन्हीं की सेफ्टी के मकसद से उतरवाए गए क्योंकि कई बार आरोपी या कैदी कपड़ों से ही फांसी लगा लेते हैं... इस कारण इनके कपड़े उतरवा लिए थे....। सीधी पुलिस के इस तर्क के सामने आने के बाद देशभर में लोग इस बयान पर हंस रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा है कि इतनी अमानवीय घटना के बाद पुलिस के मन में जो आ रहा है वो बोल रही है, देरोगा जी थोड़ी तो संवेदनशीलता दिखाईये....
मामले में थाना प्रभारी मनोज सोनी पर कई गंभीर आरोप लग रहे हैं। पीड़ित पत्रकार की मानें तो उनको लॉकअप में नंगा रखा गया। इसकी वजह भी ये थी कि उन्होंने बीजेपी विधायक के खिलाफ खबरें की थीं। पत्रकार ने बताया कि प्रभारी मनोज सोनी ने धमकाया कि यदि वो विधायक के खिलाफ खबर लिखेंगे तो इसी तरह नंगा किया जाएगा। सोनी ने उनको सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ कुछ भी लिखने पर इसी तरह की कार्रवाई की धमकी दी है।
सीधी में पत्रकार और रंगकर्मियों को पुलिस स्टेशन में बंद कर उनके कपड़े उतरवाने के मामले पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। पत्रकार कनिष्क तिवारी समेत आठ लोगों के साथ थाने में बदसलूकी को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमला करते हुए हुए इसे प्रेस और मीडिया का चीरहरण कहा है। वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने इस मामले को शर्मनाक बताया। कमलनाथ ने कहा कि इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। इस पूरे मामले में दोषियों पर जो कार्रवाई की गई वो नाकाफी है।