Maharashtra Politics: पहले छत्रपति शिवाजी, फिर संभाजी सरदेसाई और अब औरंगजेब...महाराष्ट्र में इतिहास पुरुषों को लेकर एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है। इस बार निशाने पर एनसीपी के नेता अजित पवार और जितेंद्र आह्वाड हैं।
एनसीपी नेता जितेंद्र आह्वाड ने सोमवार को अजित पवार के बयान का बचाव करते हुए कहा था कि मुगल बादशाह औरंगजेब हिंदू विरोधी नहीं था। उन्होंने कहा कि औरंगजेब एक क्रूर शासक था, जिसने सिंहासन पर चढ़ने के लिए अपने भाई और पिता की हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि औरंगजेब जुल्मी शासक होता, तो मंदिर तोड़ देता।
आह्वाड ने आगे कहा, "छत्रपति संभाजी सरदेसाई वाडा संगमेश्वर में थे। औरंगजेब को यह जानकारी किसने दी? यहीं पर असली इतिहास निहित है। संभाजी महाराज को बहादुरगढ़ लाया गया, जहां उनकी आंखें निकाल दी गईं। बहादुरगढ़ किले के करीब एक विष्णु मंदिर था। अगर औरंगजेब हिंदू द्वेषी होता, तो वह विष्णु मंदिर को भी तोड़ देता। फिर उस जगह से संभाजी को तुलापुर ले गए, आगे क्या हुआ इतिहास सबको मालूम है।"
आह्वाड ने कहा, "मेरा विचार है कि इतिहास में वापस जाने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि इससे नए विवाद बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि मराठा राजा ने अपने जीवन में कभी भी धर्म या धर्म का समर्थन नहीं किया।
एनसीपी नेताओं के इस बयान पर बीजेपी नेता राम कदम ने प्रहार किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "छत्रपति शिवाजी महाराज जी को कैद करने वाला, 46 लाख हिंदुओं का हत्यारा, काशी, मथुरा, सोमनाथ समेत देश में लाखों हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने वाला, पिता को भी कैद में डालने वाला, खुद के भाई की निर्ममता से क्रूर हत्या करने वाला, हिंदुओं पर जज़िया कर लगाने वाला, गुरु तेग बहादुर और छत्रपति संभाजीराजे जी की अमानवीय, निर्ममता और क्रूरता से सिर कलम कर के हत्या करने वाला औरंगजेब, राष्ट्रवादी दल के नेताओं का मानना है कि वो क्रूर नहीं, बल्कि महान योद्धा है? उद्धव जी, क्या आपको यह स्वीकार है? आदित्यजी, आप भी खामोश? इन्हीं कारणों से शेष बचे हुए बालासाहेब के कार्यकर्ता यह कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे, जल्द ही वे एकनाथ शिंदे जी हाथ थामेंगे।"
दरअसल, पिछले शुक्रवार को राज्य विधानसभा में छत्रपति संभाजी पर विपक्ष के नेता अजित पवार की टिप्पणी की थी। नागपुर सत्र के दौरान अजित पवार ने कहा था कि छत्रपति संभाजी स्वराज्य रक्षक हैं, वो धर्मवीर नहीं। अजित की इस टिप्पणी पर बीजेपी ने दावा किया है कि एनसीपी नेता की टिप्पणी संभाजी महाराज का अपमान है।
पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, उसके बाद मंत्री मंगल लोढा और दूसरे नेताओं के शिवाजी महाराज के बारे में दिए बयानों को लेकर विपक्ष बीजेपी के खिलाफ आंदोलन और हमला बोल रहा था। अब एनसीपी नेताओं के बयानों से विपक्ष बैकफुट पर आ गया है।
संभाजी महाराज के बारे में टिप्पणी को लेकर सोमवार को बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के नेता अजित पवार के खिलाफ नासिक में विरोध प्रदर्शन किया था। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पवार के खिलाफ नारेबाजी की और उनका पुतला फूंका।