Operation Blue Star की बरसी पर स्वर्ण मंदिर बाहर लगे 'खालिस्तान जिंदाबाद' के लगे नारे, जरनैल भिंडरावाले के समर्थन में उतरे लोग

Operation Bluestar Anniversary: आज यानि सोमवार को ऑपरेशन ब्लू स्टार की आज 38वीं बरसी है। ऐसे में स्वर्ण मंदिर के बाहर खालिस्तानियों ने आज खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए और जरनैल भिंडरावाले के समर्थन में जगह जगह पोस्टर भी लगाए।
Operation Blue Star की बरसी पर स्वर्ण मंदिर बाहर लगे 'खालिस्तान जिंदाबाद' के लगे नारे, जरनैल भिंडरावाले के समर्थन में उतरे लोग
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Operation Bluestar Anniversary: आज यानि सोमवार को ऑपरेशन ब्लू स्टार की आज 38वीं बरसी है। इस मौके पर अमृतसर (Amritsar) में कट्टरपंथी संगठनों ने बंद का ऐलान किया है। इस बंद को मध्यनजर रखते हुए पंजाब पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। किसी भी घटना की आशंका से बचने के लिए पुलिस ने अमृतसर में 7 हजार जवानों को तैनात किया है। बता दें कि 1984 में आज ही के दिन स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में सेना का ऑपरेशन खत्म हुआ था।

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मंदिर के बाहर खलिस्तान के समर्थन में लगे नारे

कट्टरपंथी संगठनों ने बंद के ऐलान के बाद पुलिस ने स्वर्ण मंदिर के आसपास चप्पे चप्पे पर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया है। ऐसे में खबर आ रही है कि अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर कुछ लोगों ने समूह में इकट्ठा होकर खालिस्तान समर्थक नारे लगाए और खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल भिंडरावाले का पोस्टर भी लगाये।

कट्टरपंथी सिक्ख संगठनों ने निकाला था आजादी मार्च

बसरी से एक दिन पहले रविवार को पंजाब में कट्टरपंथी सिख संगठनों और दल खालसा, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) सहित खालिस्तान समर्थक समूहों (Khalistan Groups) से जुड़े सदस्यों ने मिलकर आजादी मोर्च निकाला था।

क्या है Operation Bluestar

बता दें कि साल 1984 में त्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे सिख आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए की गई सैन्य कार्रवाई थी। यह कार्रवाई 3 से 6 जून तक चली। इस कार्रवाई के तहत स्वर्ण मंदिर को खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके समर्थकों से मुक्त कराया गया था।

इस घटना में खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले के साथ 83 सैनिक, 492 लोग मारे गए थे। इस आपरेशन से स्वर्ण मंदिर की इमारत को भारी नुकसान पहुंचा था। बताया जाता है कि उस समय पंजाब को भारत से अलग कर 'खालिस्तान' राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी, इस मांग को खत्म करने के लिए इंदिरा गांधी ने यह कदम उठाया था। बाद में इंदिरा को इस कार्रवाई के लिए लोगों की निंदा भी झेलनी पड़ी थी।

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