Rajasthan Congress: राजस्थान कांग्रेस की सियासत में एक बार फिर भूचाल की स्थिति उत्पन्न हो गई है। एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में पहले प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सीएम गहलोत को आड़े हाथ लेते हुए राजस्थान के मामले में कांग्रेस आलाकमान को जल्द फैसला लेने के लिए आगाह किया। इसके बाद अब पायलट समर्थक विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा के बयान ने हलचल मचा दी है।
गौरतलब है कि राजस्थान में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में सचिन पायलट और उसके समर्थक विधायक के ये बयान एक तरह से कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की कौशिश है। पायलट और विधायक बैरवा का यह बयान सीधे-सीधे कांग्रेस आलाकमान को चेतावनी भी है।
यह सर्वविदित है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पूरी तरह सक्रीय दिखे सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने उस समय भी बयानबाजी कर कांग्रेस आलाकमान पर खूब दबाव बनाने का प्रयास किया था। इसके बावजूद पायलट गुट को निराशा ही हाथ लगी। अब एक बार फिर पायलट गुट सक्रीय दिख रहा है। अब देखना यह है कि यदि फिर भी राजस्थान में आलाकमान ने शीघ्र फेरबदल नहीं किया तो सचिन पायलट और उनके समर्थकों की आगे की रणनीति क्या रहेगी?
Since Independence की इस पड़ताल में जानें राजस्थान की राजनीति में पायलट गुट की इस कवायद के क्या हैं मायने? क्या पायलट अब आरपार के मूड में आ चुके हैं?
पायलट ने सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं। वे ही बता सकते हैं कि मामले में निर्णय लेने में अप्रत्याशित विलंब क्यों हो रहा है।
सचिन पायलट ने आगे कहा कि राजस्थान में वित्तीय साल 2023-24 का बजट पेश हो चुका है। पार्टी आलाकमान की ओर से कई बार कहा गया है कि वह फैसला करेंगे कि आगे कैसे बढ़ना है। पायलट ने कहा कि राजस्थान में पिछले 25 साल से जो परंपरा चली आ रही है, उसको बदलना पड़ेगा। राजस्थान में अगर फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है तो कांग्रेस आलाकमान को जल्द फैसला करना होगा।
पायलट के इस साक्षात्कार के बाद अब उनके आवास पर उनके समर्थक विधायकों का आना शुरू हो गया है। गुरुवार को विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने सचिन पायलट से मुलाकात की। इसके बाद मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए बैरवा ने कहा कि रायपुर अधिवेशन के बाद सचिन पायलट को कभी भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
उधर, राहुल गांधी के अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों को एसेट बताए जाने पर बैरवा ने कहा कि भले ही दोनों को राहुल गांधी ने एसेट बताया हो, लेकिन पायलट कांग्रेस की वर्किंग कैपिटल हैं और गहलोत फिक्स डिपाजिट हैं। ऐसे में अब सचिन पायलट जैसे युवाओं को कमान सौंपना होगा।
विधायक बैरवा ने आगे 25 सितंबर की घटना का जिक्र करते कहा कि अब तक तीनों नेताओं पर कार्रवाई नहीं होने से पार्टी को थोड़ा बहुत नुकसान मान सकते हैं। लेकिन आलाकमान जब निर्णय लेगा तो एक दिन में फर्क पड़ जाएगा।