ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद 14 मई यानी आज सुबह 8 बजे से सर्वे का कार्य शुरू हो चुका है। मामले में कोर्ट के निर्णय के बाद एडवोकेट कमिश्नर और वाराणसी जिलाधिकारी के बीच लंबी बैठक चली, जिसमें फैसला लिया गया कि शनिवार को इस जगह का सर्वें करवाया जाएगा।
सर्वे के लिए पहुंची 52 लोगों की टीम, 500 मीटर तक एंट्री बंद
उत्तरप्रदेश के वाराणसी जिले में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज फिर से सर्वे का काम किया जा रहा है। सर्वे करने के लिए 52 लोगों की टीम मौके पर पहुंची। इस सर्वे की पूरी वीडियोग्राफी की जाएगी। इलाके में सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने इलाके के 500 मीटर तक लोगों की एंट्री बंद कर दी है। कोई हिंसा होने की आशंका से इस इलाके के आसपास 1500 जवानों की तैनाती की गई है।
इलाके के DCP आर.एस. गौतम ने बताया कि नागरिक को किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो और दर्शन अच्छी तरह से हो इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
12 मई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कमिश्नर अजय मिश्रा को बदलने के मसले पर भी साफ इंकार कर दिया थ। कोर्ट कमिश्नर के बदले जाने की याचिका पर मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा। ताजा फैसले में कोर्ट कमिश्नर के साथ दो और वकीलों की नियुक्ति की है। मामले में 17 मई के पहले सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक ही स्थान पर मंदिर मस्जिद दोनों बने हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी, वहीं इस पर मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां मंदिर नहीं था और शुरुआत से ही मस्जिद बनी हुई थी।
जैसा की इतिहास में कई मुद्दों और तथ्यों को को लेकर होता है, यहां भी इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ इतिहासकार मानना हैं कि 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तान ने मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी । जबकि कुछ इतिहासकारों की मान्यता है कि अकबर ने 1585 में नए मजहब दीन-ए-इलाही के तहत विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। इसी मामले को लेकर अब दोनों पक्ष आमने-सामने है।