उत्तर प्रदेश में मदरसों को लेकर चल रहा सर्वे पूरा हो गया। पूरे प्रदेश में करीब आठ हजार मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले हैं। सबसे ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मुरादाबाद में मिले हैं। दूसरे नंबर पर बिजनौर तथा तीसरे स्थान पर बस्ती है। सर्वे में कई तरह की खामियां मिली हैं। 15 नवंबर तक सभी डीएम इस बाबत अपने-अपने जिलों की रिपोर्ट शासन को भेजेंगे।
सर्वे से मिली जानकारी के अनुसार मदरसों का संचालन कब से हो रहा है, इसका रिकॉर्ड तक नहीं दे पाए, संस्थान के द्वारा संचालित होने के कागजात नहीं दिखा पाए। छात्रों की संख्या बताई पर लेकिन रिकॉर्ड नहीं मिला। न पाठ्यक्रम बताया न ही फंडिंग का स्रोत। सोमवार तक टीमों ने सर्वे पूरा कर अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारियों को प्रेषित कर दी है।
रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड जगमोहन सिंह के मुताबिक करीब आठ हजार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन जिलाधिकारियों की रिपोर्ट आने के बाद ही सही स्थिति पता चल सकेगी। शासन स्तर पर बनी विशेष सचिव अल्पसंख्यक, निदेशक अल्पसंख्यक तथा रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड की तीन सदस्यीय समिति ने पूरे सर्वे पर नजर रखी। गौरतलब है कि प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे दस सितंबर से शुरू हुआ था।
गाजियाबाद प्रशासन द्वारा की गई जांच में 139 मदरसे बिना मान्यता के चलते हुए मिले। इनमें लोनी तहसील के 76, मोदीनगर तहसील के 5, गाजियाबाद सदर तहसील के 58 मदरसे शामिल हैं। इन सभी की रिपोर्ट शासन को भेजने की तैयारी की जा रही है।
गोरखपुर में कुल 243 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें से 10 अनुदानित मदरसे होते हैं। 142 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। जिला समाज कल्याण अधिकारी आशुतोष पांडेय ने बताया, "मदरसों को संचालित करने का सोर्स केवल चंदा दिखाया गया है, लेकिन चंदा कहां से आ रहा था। इसकी जानकारी मदरसे की जिम्मेदार स्पष्ट नहीं कर पाए।"
कानपुर नगर में जिला अल्पसंख्यक अधिकारी पवन सिंह ने बताया, "कुल 86 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। अभी तक 66 मदरसों का सर्वे पूरा हो चुका है। इनमें 12 मदरसे की सोसाइटी रजिस्टर्ड नहीं मिली है।"
अयोध्या में 143 में से 55 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं। जिले के रुदौली में 21, मिल्कीपुर में 10, सदर तहसील में 9, बीकापुर में 6 बिना मान्यता के मदरसे चल रहे हैं।
प्रयागराज में 269 मदरसे चल रहे हैं, इनमें से 78 मदरसे ऐसे हैं, जो बिना मान्यता के चल रहे हैं। प्रयागराज में 78 मदरसों में लगभग 15 हजार की संख्या में छात्र पढ़ाई करने की जानकारी मिली है। जांच में बिना मान्यता के चल रहे मदरसों में करोड़ों की फंडिंग की भी बात सामने आई है।
बाराबंकी में करीब 320 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। करीब एक महीने की जांच के बाद जिले में 102 मदरसे ऐसे मिले, जो बिना मान्यता के चल रहे हैं।
पीलीभीत में सर्वे के दौरान पाया गया कि जिले में कुल 245 मदरसे चल रहे हैं। इनमें से 220 मदरसा मान्यता प्राप्त है। जबकि 25 मदरसे बिना मान्यता के ही जिले में संचालित हो रहे हैं।
मुरादाबाद में 585 मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। 175 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिले हैं। आधे से ज्यादा मदरसे मुरादाबाद में गैर मान्यता प्राप्त तरीके से संचालित हो रहे हैं।
सहारनपुर में देवबंद के क्षेत्र में ही 100 मदरसे हैं, जो कि गैर मान्यता प्राप्त है। अभी तक 12 या 13 मदरसों का ही सर्वे किया जा चुका है। सहारनपुर में 754 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। 76 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। यह आंकड़े 2020 के ही हैं।
आगरा में 97 मदरसों का संचालन मौजूदा समय में किया जा रहा है। इनमें से 10 ऐसे मदद से संचालित होते जिनके पास मान्यता संबंधित कोई भी अभिलेख नहीं मिले हैं।
यूपी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच चल रही है। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच भी जा रही है। सरकार मदरसों को मॉर्डन शिक्षा से लैस करवाने के लिए कार्य कर रही है।
यूपी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच चल रही है। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच भी जा रही है। सरकार मदरसों को मॉर्डन शिक्षा से लैस करवाने के लिए कार्य कर रही है।
मदरसों का संचालन कब से हो रहा है, इसका रिकॉर्ड तक नहीं दे पाए, संस्थान के द्वारा संचालित होने के कागजात नहीं दिखा पाए।
फंडिंग कैसे आ रही थी, चंदा देने वाले कौन हैं। यह जानकारी नहीं मिली।
जांच टीम को मदरसों के द्वारा पढ़ाई कर रहे छात्रों की संख्या बताई गई, लेकिन रिकॉर्ड नहीं मिला।
संचालित मदरसों का स्थाई भवन या किराए के भवन की डिटेल नहीं मिली।
कुछ ऐसे मदरसे मिले जिनका संचालन केवल कागजों पर शुरू किया गया।
मदरसों में जुड़ने वालों की डिटेल, फोटो प्रमाण पत्र उनके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिली।
गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पिछला पाठ्यक्रम क्या था, अभी क्या चल रहा है, यह तक नहीं बता पाए।
बिना किसी ट्रस्ट या संस्थान के माध्यम से भी मदरसे संचालित होते मिले।
यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉक्टर इफ्तिखार अहमद बताते हैं कि पूरे प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, हर जिले में सर्वे हो रहे हैं। हर चीज की रिपोर्ट तुरंत नहीं आ सकती है। अब समय बढ़ाया गया है, 15 नवंबर को उसकी रिपोर्ट आनी है। इसके बाद ही पूरी बात साफ हो पाएगी कि कितने मदरसे हैं, जो गैर मान्यता प्राप्त हैं, उनका संचालन किया जा रहा है।
कितने ऐसे मदरसे हैं, जो हमारे यूपी मदरसा बोर्ड से नहीं जुड़े हैं, जिसपर वह काम कर रहे हैं। वह कैसे संचालित किए जा रहे हैं, इसका पूरा सर्वे कराया जा रहा है। यह किसी तरीके की जांच नहीं केवल सर्वे है।
सर्वे में मुख्य रूप से यह पता किया गया कि मदरसों की आय के क्या स्रोत हैं। साथ ही भवन, पानी, फर्नीचर, बिजली व शौचालय के क्या इंतजाम हैं और कौन संस्था संचालित करती है? इसके अलावा मान्यता की स्थिति, छात्र संख्या व उनकी सुरक्षा के इंतजाम, पाठ्यक्रम व पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या जैसे विभिन्न बिंदुओं की पड़ताल की गई।
सरकार के आदेश के बाद प्रदेश के सभी जिलों में मदरसों की जांच के लिए टीम बनाई गई। जांच टीम द्वारा 11 बिंदुओं पर किए गए सर्वे में करीब 8 पॉइंट में यह सभी 800 मदरसे मानक के विपरीत पाए गए हैं।
यूपी सरकार मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान देती है, मगर कई ऐसे भी मदरसे हैं, जिन्हें मान्यता नहीं है। 7442 मान्यता प्राप्त मदरसों में करीब 19 लाख छात्र पढ़ते हैं। औसतन एक मदरसे में करीब ढाई सौ बच्चे हैं। सरकार का मानना है कि अगर 20 हजार गैर मान्यता प्राप्त मदरसे भी मान लिए जाएं और बच्चों की संख्या 50 मानें तो तकरीबन 10 लाख बच्चे वहां पढ़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने 2017 से मान्यता देना बंद कर दिया है। सर्वे के दौरान कई मदरसा संचालकों ने अफसरों को मान्यता नहीं होने की यही वजह बताई। प्रबंधकों का कहना है कि सभी दस्तावेज देने के बाद भी मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में वह दीनी तालीम देने के लिए मदरसा संचालित कर रहे हैं। सरकार के मुताबिक, प्रदेश में फिलहाल 15 हजार 6 सौ 13 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।