उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न न्यायाधिकरणों के खाली पदों पर भर्तियों के मामले में केंद्र सरकार के रवैये से बुधवार को गहरी नाराजगी जताई और दो सप्ताह के भीतर उन न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां करने को कहा है, जहां पीठासीन अधिकारियों के साथ-साथ न्यायिक एवं तकनीकी सदस्यों की भारी कमी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिलेक्शन कमेटी ने जिन नामों की सिफारिश की थी, उनमें से नाम चुनने में केंद्र सरकार ने अपनी मनमर्जी चलाई है।
सुप्रीम कोर्ट के सीटिंग जज की अगवाई में चयन प्रक्रिया के बाद नाम की सिफारिश की गई थी, लेकिन चयनित सूची से कुछ नाम केंद्र ने चुन लिए और बाकी नाम वेटिंग लिस्ट से ले लिए। हमने देशभर की यात्रा की। हमने इसमें बहुत समय दिया। कोविड-19 के दौरान आपकी सरकार ने हमसे जल्द-से-जल्द इंटरव्यू लेने का अनुरोध किया। हमने समय व्यर्थ नहीं किया। खोज एवं चयन समिति ने 41 लोगों की सिफारिश की, लेकिन केवल 13 लोगों को चुना गया और यह चयन किस आधार किया गया कि यह हम नहीं जानते।
चीफ जस्टिस ने रोष जाहिर करते हुए कहा कि हम लोकतांत्रित देश में हैं, यहां कानून का राज है और हम संविधान के तहत काम करते हैं। आप (केंद्र सरकार) यह नहीं कह सकते हैं कि हम नामों को स्वीकार नहीं कर सकते। इस पर केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार का अधिकार है कि वह सिफारिश को न माने। तब चीफ जस्टिस एनवी रमन ने कहा कि कानून का राज है। आप नाम अस्वीकार करने की बात नहीं कर सकते। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट देशभर के न्यायाधिकरणों में खाली पदों से काफी खफा है। उसने कहा कि जिस तरह से नियुक्तियां की गई हैं, वे अपनी पसंद के लोगों का चयन किए जाने का स्पष्ट संकेत देती हैं।