पश्चिम बंगाल
दीदी का बड़ा फैसला: WB की यूनिवर्सिटीज में अब राज्यपाल जगदीप धनकड़ नहीं CM ममता होंगी चांसलर, जानिए नियम क्या कहता है?
सीएम ममता बनर्जी जल्द ही राज्यपाल की जगह राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर बन जाएंगी। बंगाल विधानसभा में जल्द ही इसे लेकर संशोधन बिल पेश किया जाएगा। प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने बताया कि गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया है।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी जल्द ही राज्यपाल की जगह राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर बन जाएंगी। बंगाल विधानसभा में जल्द ही इसे लेकर संशोधन बिल पेश किया जाएगा। प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने बताया कि गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया है।
राज्यपाल ने राज्य सरकार की सहमति के बिना कई कुलपतियों की नियुक्तियां की: ममता सरकार
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही विश्विद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर बंगाल में रस्साकशी की खबरें सामने आई थीं। बंगाल की ममता सरकार ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार की सहमति के बिना कई कुलपतियों की नियुक्ति कर दी। इसलिए राज्यपाल की शक्तियां कम करने के लिए ममता सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया है।
बता दें कि केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच 36 के आंकड़े जगजाहिर हैं। हाल ही में सीएम ममता बनर्जी को कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में संस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया था।
सीएम ममता ने जनवरी में राज्यपाल को ट्वटीर पर कर दिया था ब्लॉक
इस साल जनवरी में सीएम ममता ने गवर्नर जगदीप धनखड़ को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था। ममता ने कहा था कि वो बंगाल के गवर्नर के ट्वीट से परेशान हो गई थीं, जिसके बाद उन्होंने जगदीप धनखड़ को ब्लॉक कर दिया। इस दौरान ममता बनर्जी ने गर्वनर धनखड़ पर गंभीर आरोप भी लगाए थे।
ममता का आरोपः धनकड़ कई फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं‚ इसे लेकर पीएम को कई पत्र लिख कर अवगत कराया
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़, चीफ सेक्रेटरी और पुलिस महानिदेशक को धमकी दे रहे थे। ममता ने कहा था कि उन्होंने गर्वनर जगदीप धनखड़ के बारे में पीएम को कई पत्र लिखे कि वह नहीं सुन रहे हैं। उन्होंने कहा था कि धनखड़ कई फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं।
अब जानिए कि किसी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति का नियम क्या कहता है?
दरअसल यूजीसी (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों एवं अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिये न्यूनतम योग्यता व उच्च शिक्षा में मानकों की मान्यता हेतु अन्य उपाय) विनियम, 2018 के अनुसार, "आगंतुक/कुलाधिपति", ज़्यादातर राज्यों में राज्यपाल “सर्च कम सिलेक्शन समितियों” द्वारा अनुशंसित नामों के पैनल में से कुलपति की नियुक्ति करता है।
आमतौर पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों के मामले में यूजीसी के नियमों का पालन बिना किसी रुकावट के किया जाता है, लेकिन कभी-कभी राज्य विश्वविद्यालयों के मामले में राज्यों की ओर से कुलपति की नियुक्ति पर विरोध किया जाता है।
ज़्यादातर मामलों में राज्य का राज्यपाल संबंधित राज्य के विश्वविद्यालयों का पदेन कुलपति होता है। राज्यपाल के रूप में वह मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से कार्य करता है लेकिन कुलाधिपति के रूप में वह मंत्रिपरिषद से स्वतंत्र रूप में कार्य करता है और विश्वविद्यालय के सभी मामलों पर निर्णय लेता है।
बता दें कि तमिलनाडु विधानसभा ने भी दो विधेयक पारित किए थे जो 13 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (VC) की नियुक्ति में राज्यपाल की शक्ति को स्थानांतरित करने का प्रावधान करते हैं। इससे पहले महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल सरकारों ने राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति के संबंध में समान प्रावधान किए थे।
कर्नाटक, झारखंड और राजस्थान में राज्य के कानून ‘राज्य और राज्यपाल’ के बीच सहमति की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। ज़्यादातर मामलों में ‘सहमति’ या ‘परामर्श’ शब्द राज्य के कानून में नहीं हैं।