पेट्रोल के आसमान छूती कीमतों के दौर में ई स्कूटर की बात आते ही हर किसी के मन में ये खयाल आता है कि इससे तो पेट्रोल की झंझट खत्म.... अब तो चार्ज करो और चलाओ.... रोज रोज पेट्रोल के लिए जेब भी ढीली नहीं करनी पड़ेगी... लेकिन हाल में ई स्कूटर मे आग लगनेकी घटनाओं ने इसकी कमियों को जनता के सामने लाकर रख दिया है। सवाल ये है कि किसी 100 सीसी की कीमत की बाइक से भी कहीं ज्यादा कीमत होने के बावजूद ई स्कूटर मैन्यूफेक्चरिंग की गुणवत्ता में कमी क्यों आ रही है, जिसके कारण आग लगन जैसी घटनाएं सामने आ रही है। इसका मतलब ये बिल्कुल भी नही है कि हम यहां पेट्रोल चलित वाहनों की वकालत कर रहे हैं।
बेशक ई स्कूटर पर्यावरण को मेंटेन करने के लिए है, लेकिन जब बात जीवन के जोखिम पर आ जाए तो ये गंभीर मसला है। ई-स्कूटर में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और ग्राहकों के जहन में ई व्हीकल को लेकर डर भी बना हुआ है। हाल ही में तमिलनाडु के वेल्लोर में ई-स्कूटर चार्जिंग के दौरान पिता-पुत्री को अपनी जान गंवानी पड़ी।
दरअसल, दुरईवर्मा नाम के शख्स ने रात को सोते समय ई-स्कूटर को चार्जिंग में लगा दिया और सो गया। देर रात चार्जिंग के दौरान बैटरी फट गई और घर में आग लग गई। आग लगने से कमरे में सो रहे पिता-पुत्री की दम घुटने से मौत हो गई। दुरईवर्मा ने हाल ही में एक नया ई-स्कूटर खरीदा था और उसे बेडरूम में चार्ज कर रहा था क्योंकि घर के बाहर चार्जिंग की सुविधा नहीं थी। बैटरी में विस्फोट का कारण इसकी क्षमता कम होना बताया जा रहा है।
पुणे से पहले ई-स्कूटर में आग लगने का मामला तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में भी आ चुका है। यहां 21 वर्षीय गणेश जब दफ्तर से ई-स्कूटर पर सवार हो कर घर लौट रहे थे तब उन्होंने अपनी गाड़ी से धुआं निकलता देखा। समय रहते वे तुरंत स्कूटर से उतरे और देखते ही देखते उनका स्कूटर पूरा जल गया। ऐसा ही मामला त्रिची में भी सामने आया था।
इसके बाद पुणे में ओला के ई-स्कूटर में आग लगने का मामला सामने आया। यहां पार्क किए गए ओला एस1 प्रो स्कूटर में अपने आप ही आग लग गई। ओला के स्कूटर में आग लगने की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ तो कंपनी को आगे आकर बयान में सफाई देनी पड़ी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ई-स्कूटर में आग लगने के मामलों को गंभीरता से ले रही है और खास तौर पर पुणे का मामला सामने आने के बाद तो जांच के आदेश तक दे दिए हैं। भारत की रक्षा अनुसंधान शाखा, सेंटर फॉर फायर, एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी द्वारा एक सरकारी जांच से ओला के लिए अपने उत्पादों को वितरित करने में और देरी हो सकती है।
ओला ने पिछले साल जब बाजार में अपने ई-स्कूटर की बुकिंग शुरू की थी तो 24 घंटे के भीतर एक लाख ग्राहकों ने इसकी बुकिंग कर ली थी। ओला ई-स्कूटर का निर्माण तमिलनाडु में ओला इलेक्ट्रिक के संयंत्र में किया जा रहा है।
पुणे की घटना पर ओला ने स्टेटमैन दिया था कि हमें पुणे की घटना के बारे में पता चला है और इस घटना कारण को समझने का हम प्रयास कर रहे हैं। गाड़ियों की सुरक्षा ओला के लिए सबसे अहम है और हम अपने प्रोडक्टस पर हाई क्वालिटी स्टैंडर्ड का वादा ग्राहकों से करते हैं। हमने इस हादसे को गंभीरता से लिया है और हम इसके लिए सही कदम उठाएंगे।
ओला ने पिछले साल जब बाजार में अपने ई-स्कूटर की बुकिंग शुरू की थी तो 24 घंटे के भीतर एक लाख ग्राहकों ने इसकी बुकिंग कर ली थी। ओला ई-स्कूटर का निर्माण तमिलनाडु में ओला इलेक्ट्रिक के संयंत्र में किया जा रहा है।
अब यक्ष प्रश्न ये है कि आखिर ई-स्कूटर में आग क्यों लग रही है। इसमें एक्सपर्ट सबसे पहले इसके लिए बैटरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ई-स्कूटर में बैटरी ही एक ऐसा हिस्सा होता है जहां आग लगने की संभावना होती है। इसे लेकर अब कड़े सुरक्षा नियमों को अपनाने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि लिथियम आयन बैटरी वाले दोपहिया वाहनों को कड़े परीक्षण के बाद ही बाजार में लॉन्च करने की परमिशन देनी चाहिए। जानकारों का कहना है कि वाहन चलाने के तुरंत बाद इसे चार्जिंग के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हीरो इलेक्ट्रिक ने हाल ही में बताया था कि ई-स्कूटर की सर्विस बहुत जरूरी है और इसे लेकर ग्राहकों में जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। ग्राहकों को बताया जाना चाहिए कि बैटरी की देखभाल कैसे करें।
एक्सपर्ट्स की मानें तो ई बाइक यूजर्स धूप में 40 किलोमीटर तक गाड़ी चलाते हैं और लौटने के तुरंत बाद बैटरी को चार्ज में लगा देते हैं, जिससे बैटरी जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाती है।
ई-स्कूटर को उसी चार्जर से चार्ज किया जाना चाहिए जो कंपनी ने वाहन के साथ दिया है। भारत में, ई-टू व्हीलर्स ने हाल के महीनों में दो प्रतिशत बाजार में अपनी हिस्सेदारी हासिल की है, जिसका नेतृत्व हीरो इलेक्ट्रिक, एथर एनर्जी और ओला जैसे स्टार्टअप्स ने किया है। महंगे ईंधन और कार्बन उत्सर्जन के बोझ से बचने के लिए केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा दे रही है।