डेस्क न्यूज. आम जीवन में एक व्यक्ति अगर सादगी के साथ जीवन जी रहा हो तो यह आम बात हैं, लेकिन हो सकता है कि उसकी कुछ मजबूरी हो, जिसके कारण उसे इस तरह का जीवन यापन करना पड़ रहा हो, अब अगर हम सोचे की एक राजनेता की दिनचर्या किस प्रकार की होगी, तो हमारे दिमाग में आता है तीन-चार लग्जरी गाड़ी उसमें बैठे सुरक्षा गार्ड, एक बड़ा सा बंगला, कुछ इस तरह का जीवन आज हमारे राजनेता गुजार रहे हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे राजनेता के बारे में बताएंगे, जिसने मुख्यमंत्री रहते हुए भी अपना जीवन बहुत ही सादगी के साथ बिताया ।
उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री एवं देश के दूसरे ग्रह मंत्री रह चुके गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था, पंत सन 1921, 1930, 1932 और 1934 के स्वतंत्रता संग्रामों में लगभग 7 वर्ष जेलों में रहे, 1937 में पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, सरदार बल्लभ भाई पटेल की मृत्यु के बाद 10 जनवरी 1955 को भारत सरकार में होम मिनिस्टर बनाया गया था, 1955 से 1961 तक होम मिनिस्टर रहें, भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न उनके ही काल में आरम्भ किया गया, केन्द्रीय गृह मंत्री के पद रहते हुऐ हृदयाघात के कारण 7 मई 1961 को इनकी मृत्यु हो गयी थी,
एक सरकारी बैठक का आयोजन किया गया था, उस, बैठक में चाय नाश्ता मंगवाया गया, जब उस का बिल 6 रुपए और बाहर आने पंत जी की टेबल पर पहुंचा तो पंत जी ने उस बिल को पास करने से साफ मना कर दिया, उन्होंने कहा कि सरकारी बैठक में सरकारी खर्च से केवल चाय मंगवाई जा सकती है, जिस किसी को नाश्ता करना है उसके पैसे खुद देने चाहिए, उस समय पंत जी ने चाय के पैसे सरकारी खर्च से और नाश्ते के पैसे खुद की जेब से दिए ।
अधिकारियों ने कहा कि चाय नाश्ता मंगवाने में कोई हर्ज थोड़ी है, तो पंत जी ने अधिकारियों से कहा कि इन पैसों पर जनता का हक है और यह जनता के लिए खर्च होंगे, में इन पैसों को हमारी सुख सुविधा पर कताई खर्चे नहीं करूंगा,
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