क्या होता है जिहाद? इस्लाम जिहाद को लेकर क्या कहता है, जाने

इस्लाम (Islam) के जानकारों की माने तो इसका शाब्दिक अर्थ होता है अत्यधिक प्रयास यानी की खुद में बदलाव लेन की कोशिश करना। जिहाद (Jihad) को थोड़ा और पढ़ते है तो मालूम चलता है की कुछ परिस्थितियों में जिहाद (Jihad) को मतलब अत्याचार के खिलाफ खड़ा होना भी है।
क्या होता है जिहाद? इस्लाम जिहाद को लेकर क्या कहता है, जाने

जिहाद (Jihad) ये एक ऐसा लफ्ज है जिसको लेकर दुनिया भर में काफी बवाल है। बीते कुछ सालो में या यूँ कहे की दशक में इस शब्द को लेकर एक अलग बहस और और एक अलग ही नैरेटिव बन चुका है। जिहाद (Jihad) शब्द का मतलब जहाँ आजकल हिंसा से जोड़ा जाने लगा है तो वहीँ मुस्लिम धर्मगुरु का कहना है की इस्लाम जिहाद (Islamic Jihad)को लेकर एकदम स्पष्ट है और इसका मतलब बुराइयों पर विजय पाना है।

क्या होता है जिहाद (Jihad)?
अब इस्लाम (Islam) के जानकारों की माने तो इसका शाब्दिक अर्थ होता है अत्यधिक प्रयास यानी की खुद में बदलाव लेन की कोशिश करना। जिहाद (Jihad) को थोड़ा और पढ़ते है तो मालूम चलता है की कुछ परिस्थितियों में जिहाद (Jihad) को मतलब अत्याचार के खिलाफ खड़ा होना भी है। वहीँ मुस्लिम विद्वानों (Muslim Scholars) का भी जिहाद को लेकर कहना है कि जिहाद (Jihad) का मतलब दूसरो से न लड़ना होकर खुद से लड़ना होता है। यानी की खुद के अंदर की बुराइयों से लड़ना है। हालाँकि एक धड़े का ये मानना है की जिहाद (Jihad) का मतलब तो बाहरी दुश्मनो से लड़ा जाने वाला युद्ध ही है।
कितने तरह के होते है जिहाद (Jihad)?
सऊदी अरब दूतावास के अधिकारी शेख जाफर इदरिस नेशनल ज्योग्राफिक' से अपनी बातचीत के दौरान बताते हैं, मजहबी तौर पर जिहाद (Jihad) को इंसाफ से जोड़ कर देखा जाता है। इदरिस में जिहाद (Jihad) के दो रूप बताये गए है, जिसमे अव्वल तो है गलत आस्था के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए उसके खिलाफ लड़ना। दूसरा जिहाद (Jihad) जिसने सारा खेल बिगाड़ रखा है वो है हाथ में तलवार लेकर नाइंसाफी के खिलाफ जिहाद(Jihad) करना। पहले जिहाद (Jihad) में चूँकि समाज में बदलाव लाने का काम करना पड़ता है तो उस पर कोई ध्यान नहीं देता लेकिन दूसरे जिहाद (Jihad) में हाथो में तलवार मिलती है और ये ज्यादा आकर्षक दिखाई पड़ता है इसलिए इस तरह के जिहाद (Jihad) का दुरूपयोग ज्यादा देखने मिलता है।

समय के साथ साथ जिहाद (Jihad) का मूल अर्थ काफी बदला जा चूका है। अब इसे आतंकवाद से जोड़ कर देखा जाता है क्योंकि अब जिहाद (Jihad) के नाम पर निर्दोष लोगो की हत्या करने का ट्रेंड बढ़ने लगा है ।

शुरुआत कहाँ से मानी जाये?

इसकी सबसे पहली शुरुआत हम 1980 के दशक को ले सकते है जब अफगानिस्तान (Afghanistan) में हजारों मुस्लिम युवा सोवियत यूनियन (Sovite Union) के खिलाफ हथियार उठाने के लिए तैयार हो गए। वे युवा हथियार बंद होकर अपने मन में ये निश्चित तौर पर मान चुके थे की वे जो कर रहे है वो जिहाद (Jihad) है। इसके अलावा चीज़े सबसे अधिक तब बदली जब ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) ने जिहाद (Jihad) को लेकर पूरा नैरेटिव ही बदल दिया।

ओसामा (Osama Bin Laden) के बेहद हिंसक तौर तरीको ने हजारो की संख्याओं में युवाओ को इस कथित जिहाद (Jihad) के ओर आकर्षित किया और जिहाद (Jihad) जिसका मतलब समाज में बुराइयों का खात्मा करना था वो अब निर्दोष लोगो को मारकर कथति जन्नत को हासिल करना बन गया। इसी कांसेप्ट के तहत अमेरिका में 9/11 जैसी घटना हुई। और आतंकी ये मानकर खुश हो रहे थे की वो आतंकी नहीं बल्कि जिहादी (Jihadi) है और अमेरिका के 'क्रूसेडर' से लोहा ले रहे हैं।
ओसामा बिन लादेन
ओसामा बिन लादेन Image Source: Getty Ima

जिहादी (Jihadi) बनाये कैसे जाते है?

दरअसल धर्म के नाम पर जब किसी को भी बरगलाया जाए तो फिर कुछ भी करवाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ इस मामले में भी हुआ। ओसामा (Osama Bin Laden) जैसे आतंकियों के दौर में खूनी जिहाद (Jihad) का कांसेप्ट लोगो के जेहन में आया। अब जहाँ कहीं भी ऐसी घटना देखने मिलती है तो जिहाद (Jihad) का जिक्र सुनने मिलता है। जिहादी (Jihadi) कौन बनते है इसके जवाब में कई विद्वानों का मानना है की ये लोग अक्सर मनोरोगी होते है जो की अपने मकसद को लेकर पूरे समर्पित होते है। आम आदमी के लिए किसी को भी बिना वजह मार देना संभव नहीं।

आतंकवादी संगठन को जब ऐसे लोगो का मालूम चलता है की वे Brainwash के जरिये किसी का जीवन बर्बाद कर सकते है तो वे तुरंत उसकी ट्रेनिंग शुरू कर दते है। ट्रेनिंग की दौरान लोगों के दिमाग में हद से भी ज्यादा कट्टरता भर दी जाती है और हिंसा के मार्ग पर चलने के लिए तैयार किया जाता है। जब ये स्टेज पूरी हो जाती है तब फिर हथियारों की ट्रेनिंग और बम का इस्तेमाल करना बताया जाता है।

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