हरियाणा में चारे पानी की कमी के कारण 80 गायों ने भूक से तोडा दम

चारे-पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हुई ​और काफी गायें भूख से तड़पकर मरीं। मरने के बाद जमीन में दबाई गई गायों को पक्षी और आवारा कुत्ते खा रहे हैं।
हरियाणा में चारे पानी की कमी के कारण 80 गायों ने भूक से तोडा दम
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न्यूज़- हरियाणा में पानीपत के समालखा चुलकाना रोड स्थित श्री कृष्ण गौशाला में 80 से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है। इसकी वजह रहा लॉकडाउन के दौरान चारे-पानी की व्यवस्था न हो पाना। संवाददाता के अनुसार, यहां गौशाला में गाय अधिक है और महामारी के बीते ​3 महीनों के दौरान उनमें से ज्यादा गाएं कई कई दिन भूखी रहीं। समय पर उन्हें चारा नहीं मिल पाता था।

गौशाला में क्षमता 1100 गाय रखने की है, लेकिन रखी जा रही थीं 1850 गाय। ऐसे में चारे-पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हुई ​और काफी गायें भूख से तड़पकर मरीं। मरने के बाद जमीन में दबाई गई गायों को पक्षी और आवारा कुत्ते खा रहे हैं।

संवाददाता से बातचीत में गौशाला के मैनेजर ने कहा कि प्रशासन की ओर से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिलता। इसलिए गायों को मरने के बाद उन्हें गौशाला की ही जमीन में दबाना पड़ता है। फिर बारिश होने के बाद लाश दिखने लगती हैं और वहां पक्षी या आवारा कुत्ते गायों को नोंच खाने लगते हैं। बता दें कि, समालखा चुलकाना राेड स्थित श्री कृष्ण गौशाला साढ़े तीन एकड़ में बनी हुई है। लाॅकडाउन के चलते गाैशाला में गायों की संख्या अधिक होने के कारण करीब 80 गोवंशों की भूख के कारण मौत हो चुकी है।

इस बारे में जानकारी देते हुए गाैशाला के मैनजेर कुलदीप ने कहा कि चुलकाना राेड स्थित श्री कृष्ण गाैशाला में 1850 गाैवंशाें की संख्या है, जबकि क्षमता 1100 गाेवंशाें की है। लोग गाय छोड़ जाते हैं। ऐसे में ज्यादा पशुओं का पेट भरना आसान नहीं रहा। इसलिए हर रोज गायों की भूख के कारण मौत हो रही है। जब वह गाय को चारा डालते हैं तो सभी गाय एक साथ चारा खाती हैं और जो कमजोर गाय हैं उन्हें गायों की भीड़ अधिक होने के कारण चारा नहीं मिल पाता और वह भूखी रह जाती हैं। इस कारण हर रोज गायों की मौत हो रही है।

कुलदीप शर्मा ने यह भी बताया कि 13 मार्च से अब तक करीब 80 गाेवंशाें की भूख व बीमारी के चलते माैत हाे गई है। जबकि गाैशाला में अब भी पांच गाेवंश बीमार हैं। जिनकी देखभाल डाॅक्टर कर रहे है। मैनेजर ने बताया सरकार और प्रसाशन की तरफ से गौवंश को दबाने के लिए कहीं कोई जगह मुहैया नहीं करवाई गई है। जोकि हमारे लिए बहुत पड़ी समस्या है। इसलिए हम गौवंश को गौशाला की खाली जमीन में ही दबा देते हैं और और बारिश होने पर आवारा कुत्ते और पक्षी नोंच रोज खाते हैं।

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