यूक्रेन युद्ध के बीच ताइवान को डराने-धमकाने की कोशिश कर रहे चीन को पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुली चेतावनी दी है। क्वाड मीटिंग में हिस्सा लेने जापान पहुंचे बाइडेन ने एक बैठक में कहा कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि चीन ताइवान सीमा में घुसपैठ कर जोखिम उठा रहा है।
बाइडेन से सवाल- अगर चीन ताइवान पर कब्जा करने के लिए सत्ता का इस्तेमाल करता है तो क्या अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा?
जवाब में जो बाइडेन- हमने यही वादा किया था। हम एक चीन की नीति पर सहमत हुए, हमने उस पर हस्ताक्षर किए, लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बलपूर्वक छीना जा सकता है। जो बाइडेन ने कहा कि ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग करने का चीन का कदम न केवल अनुचित होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर देगा।
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश के रूप में देखता है। चीन का लक्ष्य ताइवान को अपनी राजनीतिक मांगों के आगे झुकने और चीन के कब्जे को स्वीकार करने के लिए मजबूर करता रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से यह आशंका बनी हुई है कि ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन भी युद्ध का रास्ता अपना सकता है।
1949 में ताइवान और चीन हुए अलग
ताइवान में चीन की तरफ से घुसपैठ होती रहती है। आमतौर पर ये उड़ानें ताइवान के दक्षिण-पश्चिम हवाई क्षेत्र में होती हैं। इसे AIDZ कहा जाता है। 1949 में गृहयुद्ध के दौरान ताइवान और चीन अलग हो गए, लेकिन चीन इस द्वीप पर अपना दावा करना जारी रखे हुए है। नतीजतन, बीजिंग ताइवान सरकार की हर कार्रवाई का विरोध करता है। यह ताइवान को अलग-थलग करने और डराने के लिए कूटनीतिक और सैन्य बल का उपयोग करना जारी रखता है।